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मेड इन इंडिया की ग्लोबल क्रेडिबिलिटी भी हो, प्रोडक्ट्स की क्वालिटी से बढ़ेगी ताकत:मोदी

नई दिल्ली(लाइवभारत24)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है। कोरोना की दो मेड-इन-इंडिया वैक्सीन बनाने में सफलता पाना उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया। उन्होंने नेशनल एन्वायरमेंटल स्टैंडर्ड लैब, नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य की शुरुआत भी की।
मोदी ने कहा कि नए दशक में ये शुभारंभ देश का गौरव बढ़ाने वाले हैं। नया साल एक और बड़ी उपलब्धि लेकर आया। वैज्ञानिकों ने एक नहीं दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार करने में सफलता पाई है। देश को वैज्ञानिकों के योगदान पर गर्व है। दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है। साथ ही बोले कि मेड इन इंडिया की ग्लोबल क्रेडिबिलिटी भी हो, प्रोडक्ट्स की क्वालिटी से इनकी ताकत बढ़ेगी।
हमारे वैज्ञानिकों ने वैक्सीन के लिए दिन-रात एक कर दिए। हर चुनौती का सामना किया, नई परिस्थितियों के समाधान तलाशे। हमारे युवा CSIR के बारे में और ज्यादा जानना-समझना चाह रहे हैं। यहां के वैज्ञानिक देश के छात्रों, स्कूलों के साथ ज्यादा से ज्यादा संवाद करें, ताकि युवा वैज्ञानिक तैयार करने में मदद मिल सके। CSIR-NPL ने देश से साइंटिफिक इवैल्युशन में अहम रोल निभाया। हम जब पीछे देखते हैं तो शुरुआत गुलामी से बाहर निकले भारत के नवनिर्माण पर की गई थी। आपकी भूमिका में और विस्तार हुआ है। नई मंजिलें सामने हैं। 2047 में आजादी के 100 साल होंगे। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को ध्यान रखते हुए हमें नए बेंचमार्क गढ़ने की दिशा में आगे बढ़ना ही है।

CSIR एक तरह से भारत का टाइमकीपर है। इस दशक में भारत को अपने स्टैंडर्ड्स को नई गति देनी होगी। हमारी सर्विसेज की क्वालिटी हो, सरकारी हो या प्राइवेट, क्वालिटी स्टैंडर्ड्स तय करेंगे कि भारतीय प्रोडक्ट्स की ताकत दुनिया में कितनी बढ़े। कोई भी रिसर्च माप और नाप के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। इसलिए मेट्रोलॉजी, मॉर्डेनिटी की आधारशिला है। मेट्रोलॉजी हमारे लिए मिरर जैसी है। दुनिया में हमारे प्रोडक्ट्स कहां स्टैंड करते हैं, ये इंट्रोस्पेक्शन मेट्रोलॉजी से ही संभव है।
हमें दुनिया को भारतीय उत्पादों से भरना नहीं है, हमें हर कोने में लोगों का दिल जीतना है। मेड इन इंडिया की न केवल ग्लोबल डिमांड, बल्कि ग्लोबल क्रेडिबिलिटी हो। आज भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिनका अपना नेविगेशन सिस्टम है। आज इस ओर एक और कदम बढ़ा है। अब फूड, एडिबल ऑयल, हेवी मेटल्स, फार्मा-टेक्सटाइल्स अपने रेफरेंस सिस्टम को मजबूत करने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। नए मानकों से क्षेत्रीय उत्पादों को ग्लोबल पहचान दिलाने की योजना है। नए मानकों से एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट दोनों की क्वालिटी सुनिश्चित होगी।
किसी भी प्रगतिशील समाज में रिसर्च जीवन का सहज स्वभाव भी होता है। इसके प्रभाव कमर्शियल और सोशल होते हैं। कई बार रिसर्च करते समय यह अंदाजा नहीं होता कि भविष्य में वो किस काम आएगी। लेकिन ज्ञान का भंडार कभी बेकार नहीं जाता। जैसे आत्मा नहीं मरती, वैसे ही रिसर्च कभी नहीं मरती। ग्रेगर मेंडल या निकोला टेस्ला की रिसर्च उनके दुनिया से जाने के बाद सामने आई। ड्रोन पहले युद्ध के लिए बनाए थे, आज इनसे सामान की डिलीवरी और फोटोग्राफी भी हो रही है।
आज जीवन का कोई हिस्सा नहीं है, जहां बिना बिजली के गुजारा हो। एक सेमी कंडक्टर के अविष्कार से दुनिया कितनी बदल गई। आने वाला भविष्य आज से बिल्कुल अलग होगा। बीते 6 साल में देश ने इसके लिए फ्यूचर रेडी इकोसिस्टम बनाने पर काम किया। देश में आज बेसिक रिसर्च पर जोर दिया जा रहा है। आज भारत में इंडस्ट्री और इंस्टीट्यूशंस के बीच संबंध मजबूत किया जा रहा है। आज भारत के युवाओं के पास रिसर्च में अपार संभावनाएं हैं। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की सुरक्षा कैसे हो, ये भी युवाओं को सिखानी होगी।

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