हाथरस (लाइवभारत24)। यूपी के हाथरस में युवती से कथित गैंगरेप और उसकी मौत के केस की जांच CBI कर रही है। इस बीच, CBI के हाथ एक ऐसा सबूत हाथ लगा है, जो इस केस में शुरुआत से ही सवालों में घिरी पुलिस के खिलाफ है। अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों में से एक नाबालिग निकला है। इसका खुलासा उसके घर से बरामद हाईस्कूल की मार्कशीट से हुआ है। मार्कशीट सामने आने के बाद CBI ने घटना के बाद सस्पेंड हुए पुलिसकर्मियों से पूछताछ की है।
आरोपी ने 2018 में जेएस इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास की है। मार्कशीट पर उसकी जन्मतिथि 2 दिसंबर 2002 लिखी है। ऐसे में अभी उसकी उम्र 17 साल 10 माह है। 14 सितंबर को जब वारदात हुई तब वह 17 साल 9 महीने 12 दिन का था। इसके बावजूद उसे अन्य आरोपियों की तरह जेल भेज दिया गया। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जेल भेजने से पहले क्या उसकी मेडिकल जांच नहीं हुई थी? अब पुलिस पर दस्तावेजों को दरकिनार करने का आरोप लग रहा है। हाथरस केस में CBI जांच का आज 10वां दिन है। दोपहर साढ़े 12 बजे CBI की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची। यहां चश्मदीद छोटू को बुलाकर पूछताछ की गई। पीड़ित के भाई ने बताया कि सीबीआई ने उनसे पूछा है कि कोई परेशानी तो नहीं है। घटना के बारे में किसी तरह की और पूछताछ नहीं की। सीबीआई छत पर गई और कुछ जांच की। पीड़ित के भाई ने एक आरोपी नाबालिग होने के मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया। इस दौरान आरोपियों के घर से पीड़ित के घर की दूरी को भी नापी गई है।
CBI ने घटनास्थल पर लगी बाजरे की फसल को छोड़कर खेत मालिक से अन्य फसल काटने के लिए कहा है। दरअसल, खेत मालिक ने फसल नुकसान की बात कहते हुए सरकार से मुआवजा मांगा था। यहां करीब 25 मिनट रहने के बाद CBI अफसर पीड़ित के गांव पहुंचे। यहां पीड़ित परिवार वालों से पूछताछ की जा रही है।
CBI ने सोमवार को अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों संदीप, रामू, रवि और एक नाबालिग से अलग-अलग करीब साढ़े सात घंटे पूछताछ की थी। इससे पहले CBI ने कोर्ट से परमिशन ली। CBI की टीम सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर जेल के अंदर पहुंची और शाम को 7:30 बजे बाहर आई। इस दौरान वारदात के दिन कौन-कहां था, इसकी पूरी जानकारी ली गई। इससे पहले CBI ने सभी आरोपियों के परिवार वालों से पूछताछ की थी और आरोपी नाबालिग के घर से सबूत जुटाए गए थे। इस दौरान कुछ दस्तावेजों के अलावा एक लाल रंग लगा कपड़ा भी बरामद किया था।
सीबीआई जांच के एक दिन बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में कार्यरत दो मेडिकल अफसरों को बर्खास्त कर दिया गया है। दरअसल, डॉ. अजीम मलिक और डॉ. ओबैद ने पीड़ित का इलाज और उसकी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी। इसके अलावा डॉ. ओबैद ने फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट पर सवाल भी उठाए थे। उन्होंने कहा था कि घटना के 11 दिन बाद रेप की पुष्टि नहीं हो सकती है। यदि शुरुआत में पुलिस ने जांच कराई होती तो पुष्टि हो सकती थी। हालांकि बाद में उन्होंने इसे अपना निजी विचार बताए थे। सूत्रों की मानें तो सोमवार को सीबीआई ने दोनों डॉक्टर्स से पूछताछ की थी। वहीं, मंगलवार को एएमयू के वीसी ने दोनों डॉक्टर्स को बर्खास्त कर दिया है। दोनों की मेडिकल कॉलेज में जॉइनिंग लीव वैकेंसी पर हुई थी।