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पिरामल फाउंडेशन नीति आयोग के साथ साझेदारी में आकांक्षी जिलों में कोविड राहत के लिए 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगा

लखनऊ (लाइवभारत24)। पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड (पीईएल) की परोपकारी शाखा पिरामल फाउंडेशन ने देश के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स में कोविड- 19 की दूसरी लहर के विनाशकारी प्रभाव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। कोविड की दूसरी लहर के कारण उपजे हालात को काबू में करने की दिशा में अपनी ओर से योगदान करते हुए पिरामल फाउंडेशन, सबसे अधिक प्रभावित आकांक्षी जिलों में से 25 में ग्रामीण और आदिवासी ब्लॉकों में 100 कोविड देखभाल केंद्र स्थापित करेगा। साथ ही, फाउंडेशन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहे देशभर के 112 आकांक्षी जिलों में जनजातीय और ग्रामीण आबादी को घरेलू देखभाल सहायता प्रदान करेगा। इस पहल को पिरामल फाउंडेशन नीति आयोग के साथ साझेदारी में पूरा करेगा। इस तरह पिरामल फाउंडेशन नीति आयोग के साथ साझेदारी में आकांक्षी जिलों में कोविड राहत के लिए 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। पिरामल फाउंडेशन की इस पहल के तहत 1000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों और 1 लाख से ज्यादा स्वयंसेवकों के नेटवर्क के माध्यम से 1143 ब्लॉकों में 2 मिलियन लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा। अकेले महाराष्ट्र में, गढ़चिरौली, नंदुरबार, उस्मानाबाद और वाशिम के 4 आकांक्षी जिलों के 32 ब्लॉकों में 1.25 लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। महाराष्ट्र में 4 आकांक्षी जिले उन इलाकों में शामिल हैं, जो इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन जिलों में 1.6 लाख मामले हैं और 3063 के करीब मौतें हुई हैं। यह संख्या दिन-ब-दिन खतरनाक रूप से बढ़ रही है, महाराष्ट्र में लगभग 3.3 प्रतिशत मौतें इन्हीं आकांक्षी जिलों में हो रही हैं।

पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड की वाइस-चेयरपर्सन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ स्वाति पिरामल ने कहा, ‘‘चूंकि महामारी शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैलती है, ऐसी सूरत मंे कोविड- 19 की दूसरी लहर को काबू में करना और आशंकित तीसरी लहर की गंभीरता को कम करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के सीमित बुनियादी ढांचे और कुशल कर्मियों की कमी के कारण कोविड संक्रमण के मामलों से निपटने में ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह सुसज्जित नहीं है। इस अंतर को दूर करने के लिए तत्काल और और इनोवेटिव कार्रवाई की आवश्यकता है। ‘अनामय’ – जनजातीय स्वास्थ्य सहयोगात्मक और अन्य पिरामल फाउंडेशन की पहल से सिस्टम पर बोझ कम करने और ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार करने में मदद मिलेगी।’’

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