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वेंकैया नायडू ने 8 विपक्षी सांसदों को सत्र से एक हफ्ते के लिए निलंबित किया

जिन सांसदों को निलंबित किया गया, उनमें तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन, कांग्रेस के राजीव सातव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नजीर हुसैन और इलामारन करीम हैं। इन सभी पर आसंदी के साथ असंसदीय व्यवहार करने का आरोप है।

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। देश के माननीयो ने एक बार फिर अपने पद को शर्मसार किया है, अपनी राजनीति के चलते ये भूल जाते है कि वो जनता के चुने हुये प्रतिनिधि है और देश की जनता ने उन्हे अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा है। राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को 8 विपक्षी सांसदों को एक हफ्ते के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया। रविवार को कृषि से जुड़े दो विधेयक सदन में पास हुए थे। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी की, उपसभापति हरिवंश का माइक निकालने की कोशिश की थी। जिन सांसदों को निलंबित किया गया, उनमें तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन, कांग्रेस के राजीव सातव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नजीर हुसैन और इलामारन करीम हैं। इन सभी पर आसंदी के साथ असंसदीय व्यवहार करने का आरोप है। सभापति वेंकैया ने उपसभापति हरिवंश पर कार्रवाई की मांग को खारिज कर दिया। कृषि मंत्री के जवाब पर बहस की मांग खारिज होने पर 12 विपक्षी दलों ने रविवार को हरिवंश सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। वेंकैया ने कहा कि कल जो राज्यसभा में हुआ, उसे अच्छा नहीं कहा जा सकता। कुछ सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी की। उपसभापति को धमकाया गया। उनके काम में अड़ंगा डाला गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरा सुझाव है कि जिन सांसदों पर कार्रवाई हुई, उन्हें अपने अंदर झांककर देखना चाहिए। रविवार शाम को रक्षा मंत्री राजनाथ समेत छह बड़े मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राज्यसभा में जो हुआ, वह शर्मनाक था। लोकसभा में जनहित से जुड़े जरूरी मामलों पर बहस (मैटर्स ऑफ अर्जेंट पब्लिक इंपोर्टेंस) या जीरो आवर पहली बार आधी रात तक चला। कई सांसदों और लोकसभा सचिवालय से अधिकारियों ने बताया कि 17 अप्रैल 1952 में लोकसभा के गठन के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। लोकसभा की कार्यवाही रविवार को दोपहर बाद 3 बजे शुरू हुई थी। प्रश्नकाल (क्वेश्चन आवर) के बाद रात 10.30 बजे जीरो आवर शुरू हुआ, जो रात 12.34 बजे तक चला। जीरो आवर में बहस के लिए सांसदों को पहले से प्रश्न बताने की जरूरत नहीं होती। किसान बिलों के विरोध में रविवार को राज्यसभा में विपक्ष ने सभी हदें पार कर दीं। पहले सभापति के सदन का समय बढ़ाने पर हंगामा शुरू हुआ। विपक्षी सदस्य वेल में हंगामा करने लगे। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का जवाब पूरा होने के बाद जब बिल पास करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो विपक्षी मत विभाजन (वोटिंग) की मांग करने लगे।
उपसभापति हरिवंश मत विभाजन के लिए तैयार नहीं हुए तो तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने सदन की रूलबुक फाड़ दी और उपसभापति का माइक तोड़ने की कोशिश की। कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा, आप सांसद संजय सिंह और डीएमके सांसद तिरुचि शिवा भी माइक तोड़ने की कोशिश करते नजर आए। इस वजह से मार्शल बुलाने पड़े और सदन की कार्यवाही 15 मिनट रुकी रही। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा हुआ तो स्पीकर ने ध्वनिमत से विधेयक पास कर दिया। राज्यसभा में हंगामे को लेकर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के आवास पर बैठक भी हुई थी।

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