नई दिल्ली (लाइवभारत24)। सोनिया गांधी ने शुक्रवार को पार्टी की वर्किंग कमेटी में बड़े बदलाव किए। महासचिव पद से गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो को हटा दिया गया है। इनमें से गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया को चिट्ठी लिखी थी।माना जा रहा है कि ये बदलाव राहुल की ताजपोशी का रास्ता साफ करने के लिए किए गए हैं, क्योंकि चिट्ठी लिखने वाले नेता लीडरशिप में बदलाव चाहते थे। 7 अगस्त को लिखी गई चिट्‌ठी में ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की गई थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे’। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि फुलटाइम लीडरशिप और फील्ड में असर दिखाने वाली एक्टिवनेस जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस तरफ इशारा कर रहा था कि कांग्रेस का एक गुट दोबारा राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं चाहता था। इसी ‘लेटर बम’ के बाद सोनिया गांधी ने अब संगठन में बड़े बदलाव कर दिए हैं।
सबसे बड़ा झटका गुलाम नबी आजाद को लगा है। वे राज्यसभा में अभी विपक्ष के नेता हैं। पिछली बार सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे। माना जा रहा है कि उन्हें अब राज्यसभा का दोबारा टिकट मिल पाना भी मुश्किल है।
सोनिया ने पार्टी में नेतृत्व में बदलाव के लिए एक कमेटी का गठन करने का सुझाव दिया था। इस आधार पर 6 लोगों की कमेटी बनाई गई है। इसे संचालन समिति कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि यही कमेटी अब राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों का रास्ता साफ करेगी। इस कमेटी में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक को शामिल किया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सबसे बड़ा प्रमोशन मिला है। वे भी इस कमेटी में शामिल िकए गए हैं। उम्र की वजह से महासचिव पद से हटाई गईं अंबिका सोनी को इस कमेटी में जगह मिली है।

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