ध्यान लगाने के आसान चरण अपनाकर दूर करें नकारात्मक विचारआज सर्वविदित है कि हमारी मानसिक अवस्था का असर हमारे स्वास्थ्य ही नहीं हमारे इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र पर भी पड़ता है। इसलिए इस समय बहुत जरूरी है कि मानसिक तनाव को भूलकर भी पास न आने दें। मानसिक तनाव की क्या वजह है और यह कैसे आता है? इस विषय पर प्राकृतिक चिकित्सक व हेल्थ इज वेल्थ होलिस्टिक क्लीनिक की डायरेक्टर डॉ. शिखा गुप्ता साझा कर रहीं हैं, अपने अनुभव। लॉक डाउन में खुद को कैसे रखें स्वस्थ और प्रसन्न इस पर दे रहीं हैं कुछ खास जानकारी।
भावनाओं पर रखें कंट्रोलडॉ. शिखा कहती हैं, दिन भर में हमारे अंदर बहुत सारी भावनाएं आती जाती हैं। जैसे – गुस्सा, प्यार, डर, उदासी, चिड़चिड़ापन, तनाव आदि। किंतु अगर इनमें से कुछ भावनाएं बार-बार आएं तो यह मानसिक रूप से हमारे शरीर में डोपामाइन हार्मोन के स्राव को कम कर देता है। हमारे तंत्रिका तंत्र को भी आघात पहुंचता है जिससे गर्दन में दर्द, कंधों में दर्द, प्राय: कमर में भी दर्द महसूस होता है। दिन में एक बार 30 मिनट का ध्यान कम से कम अवश्य करना चाहिए। इसके लिये आप सुविधानुसार कोई भी समय चुन सकते हैं।
पहला चरण – साफ जगह पर जहां ताजी हवा आती हो, प्रात: अथवा सायं काल बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें, हाथों को ज्ञान मुद्रा, बुद्ध मुद्रा या किसी भी प्रिय मुद्रा में रख लें, चेहरे पर मुस्कुराहट का भाव रखें।
दूसरा चरण – अपने ध्यान को नाक के चारों तरफ केंद्रित करें और आती-जाती श्वांस को महसूस करें, देखने की कोशिश करें। ऐसे जैसे मानो आप उसे देख पा रहे हो श्वांस नथुनों में छू रही है। ऊपरी होंठ के ऊपर छूती हुई देखते रहें, उसे बंद आंखों से महसूस करते रहें।
तीसरा चरण – अब गहरी श्वांस लेना आरंभ करें, दो सेकेंड में लें, चार सेकेंड में निकालें। इसी तरह बढ़ाकर चार सेकेंड में लें और आठ सेकेंड में निकालें। सारा ध्यान श्वांस लेते समय छाती के बाहर फैलने पर और पेट के बाहर आने पर लगाएं और छोड़ते समय पेट को अंदर आता महसूस करें।
चौथा चरण – गहरी सांसों के द्वारा नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, डर, गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, चिंता आदि को बाहर निकालें। सांस लेने और छोड़ने के साथ यह बाहर जा रही हैं। ऐसा महसूस करें, मन में बोले कि यह बाहर जा रही हैं, मेरा गुस्सा बाहर जा रहा है, चिंता बाहर जा रही है, डर बाहर जा रहा है।
पांचवा चरण – प्रार्थना करें, जो प्रार्थना आपको पसंद हो, जिस गुरु का ध्यान करते हों, उसके प्रति आदर और विश्वास से समर्पण का भाव रखें। जैसे- ‘हे परमपिता परमात्मा, सूर्य भगवान, पृथ्वी व सभी महान आत्माएं और हमारी अपनी आत्मा हम आप सभी को धन्यवाद करते हैं, आपके असीम आशीर्वादों के लिए, सहायता एवं समर्पण के लिए, हम आध्यात्मिक साधना करते रहें ऐसी आंतरिक शक्ति के लिए हम आपको बारंबार धन्यवाद करते हैं।’
छठा चरण – सारे शरीर को बंद आंखों से यानी मन की आंखों से देखें। पैरों के अंगूठे से लेकर आहिस्ता-आहिस्ता सिर तक आएं।
सातवां चरण – दूसरों के प्रति कृतज्ञता रखें, जो भी लोग आपको प्यार करते हैं उनके प्रति और जिनसे कभी किसी बात पर नाराजगी की है उनके प्रति क्षमा का भाव रखें।
आठवां चरण – संकल्प करें, जिस उद्देश्य को लेकर ध्यान किया जा रहा है, उसे दोहराएं। जैसे कि आज के परिवेश में कोरोना से डरे हुए लोग इस संकल्प को दोहराएं-
‘मैं स्वस्थ हूं, मैं सुरक्षित हूं, मेरा कुटुंब स्वस्थ है, मेरा कुटुंब सुरक्षित है। मेरा भारत स्वस्थ है, मेरा भारत सुरक्षित है।
मेरा विश्व स्वस्थ है, मेरा विश्व सुरक्षित है।
मेरी पृथ्वी स्वस्थ है, मेरी पृथ्वी सुरक्षित है।
संपूर्ण ब्रह्मांड स्वस्थ है, संपूर्ण ब्रह्मांड सुरक्षित है।
नौवां चरण – धीरे-धीरे हाथ-पैरों को हिलाते हुए हथेलियां आपस में रगड़कर आंखों पर रखें, अपने शरीर और अपने आसपास के वातावरण के प्रति सजग हों और मुस्कुराते हुए अपनी आंखों को खोलें।
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