एसटीएफ ने शुरू किया अभ्यर्थियों से ठगी का ब्योरा जुटाना
लखनऊ(लाइवभारत24)। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में आज प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिल गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार की तीन स्पेशल अपील पर आदेश सुनाते हुए एकल पीठ के 3 जून के आदेश को स्टे कर दिया। यानी अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के 9 जून के आदेश से करीब 37 हजार पदों पर लगी रोक के इतर शेष बचे पदों पर भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाने को स्वतंत्र है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 3 जून को भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
दो सदस्यीय खंडपीठ ने 8 जून को मामले में 3 जून के अंतरिम आदेश पर रोक लगाए जाने के बिंदु पर सुनवाई पूरी करने के उपरांत अपना आदेश सुरक्षित करते हुए, अभ्यर्थियों के अधिवक्ताओं को लिखित बहस 24 घंटे में दाखिल करने का निर्देश दिया था। उक्त तीनों अपीलें राज्य सरकार की ओर से परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण ने दाखिल की हैं। एकल पीठ ने 8 मई को जारी उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पाया था कि कई प्रश्न और उनके उत्तर भ्रमित करने वाले हैं और कई तो प्रथम दृश्टया स्पष्ट तौर पर गलत प्रतीत हो रहे हैं। लिहाजा एकल पीठ ने विवादित प्रश्नों को यूजीसी को भेज दिया था।
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने अभ्यर्थियों से ठगी का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है। उसने इसमें अपनी सभी इकाइयों को लगाया है। ठगी के आरोप में गिरफ्तार अभियुक्तों का पूरा नेटवर्क एसटीएफ के निशाने पर है। कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई है। यूपी में 69000 शिक्षक सहायक भर्ती की टॉपरों की सूची में कुछ ऐसे नाम थे, जिन पर हजारों अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए थे। 150 नंबर में 140 अंक तक पाने वालों में कोई गाड़ी चालक तो कोई डीजे वाला बाबू बताया गया। शिकायत मिली तो प्रयागराज के कप्तान सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज,अशोक वेंकटेश और अनिल यादव जैसे तीन आईपीएस लगे तब इस फर्जीवाड़ा करने के रैकेट का खुलासा हो सका।
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