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स्मार्ट फोन पर माइंडलेस स्क्रॉलिंग के कारण सही समय पर नहीं सो पाते हैं 80 प्रतिशत भारतीय नागरिक: गोदरेज इंटेरियो स्टडी में खुलासा

लखनऊ (लाइवभारत24)। गोदरेज इंटेरियो द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि रात 10 बजे बाद सोने की आदत को दरअसल चिकित्सकीय रूप से गलत माना जाता है और इससे नींद की आदत में बदलाव आता है, जिससे नींद की कमी और अनिद्रा से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हंै। नींद के घंटों की संख्या के बावजूद यह स्थिति रहती है। हालांकि अध्ययन में यह भी पता चला कि अधिकांश भारतीय नागरिक जानते हैं कि रात 10 बजे बिस्तर पर चले जाना नींद निकालने का एक आदर्श समय है, लेकिन वे वास्तव में इसका पालन करने की बजाय नए-नए बहाने गढ़ते हैं। यह अध्ययन महानगरों में रहने वाले 1,000 भारतीय नागरिकों पर किया गया था। घर और संस्थागत दोनों क्षेत्रों में भारत के प्रमुख फर्नीचर ब्रांड गोदरेज इंटेरियो ने 2017 में स्लीप एट 10 अभियान शुरू किया था। यह अभियान देश में नींद की कमी से उपजी समस्याओं पर बढ़ती चिंता को दूर करने पर केंद्रित है। यह अध्ययन गोदरेज इंटेरियो के सोशल मीडिया पेजों के माध्यम से लोगों से मिली जानकारियों पर आधारित है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि हर दस में से सात उत्तरदाता स्क्रीन पर कुछ ना कुछ देखने में जुटे रहते हैं और इस वजह से वे समय पर नहीं सो पाते हैं। लगभग 56 प्रतिशत लोग प्राथमिक कारण के रूप में ‘वर्क फ्राॅम होम’ का हवाला देते हैं और कहते हैं कि इस कारण उनके सोने के समय में देरी हो जाती है, जबकि 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे स्मार्ट फोन पर माइंडलेस स्क्रॉलिंग के कारण सही समय पर नहीं सो पाते, हालांकि सभी को इस बात की जानकारी है कि सोने का सबसे आदर्श समय है रात के लगभग 10 बजे। निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए अनिल माथुर, सीओओ, इंटेरियो डिवीजन ने कहा, ‘‘गोदरेज इंटेरियो में हम राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और ेसममच/10 ऐसी ही एक पहल है, जो नींद की सही आदतों को बढ़ावा देती है, क्योंकि यह प्रयास हमारे समग्र स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिहाज से भी फायदेमंद है। यह अध्ययन इस बात पर जोर देने के लिए किया गया था कि क्यों हमारे लिए अपना स्वास्थ्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण है और ठीक समय पर सोना स्वस्थ जीवन जीने के लिए कैसे लाभदायक है।’’ गोदरेज इंटेरियो द्वारा किए गए सर्वेक्षण के जरिये एकत्र किए गए नींद के आंकड़ों के अनुसार, पता चलता है कि 20 प्रतिशत उत्तरदाता स्मार्ट फोन पर माइंडलेस टेक्सटिंग में लिप्त हैं। इसी तरह, 29 प्रतिशत लोग समय पर नहीं सोने के लिए ‘पायजामा पार्टी’ के बहाने का सहारा लेते हैं। साथ ही, 44 प्रतिशत प्रतिभागी समय पर नहीं सोने के लिए प्राथमिक कारण के रूप में ‘वर्क फ्राॅम होम’ का सहारा लेते हैं।

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