19.6 C
New York
Saturday, 5th \ July 2025, 10:35:43 AM

Buy now

spot_img

लॉकडाउन के दौरान किराना के एईपीएस ट्रांजैक्शंस में 96 फीसदी की वृद्धि

लखनऊ (लाइवभारत24)। भारत के सबसे बड़े हाइपरलोकल फिनटेक स्टार्ट-अप पेनियरबाई ने आज बताया कि देश भर में किराना की दुकानों पर लाॅकडाउन के दौरान आधार एनबिल्ड पेमेंट सिस्टम (आधार एटीएम) में वॉल्यूम और वैल्यू में क्रमशः 96 फीसदी और 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह सरकार द्वारा महामारी के दौरान नागरिकों का समर्थन करने के लिए वितरित विभिन्न राहत निधियों का प्रत्यक्ष परिणाम था और मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ज्यादा रहा, जहां लेन-देन की मात्रा में 61 फीसदी और 60 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी। कोविड-19 के दौरान ‘असिस्टेड डिजिटल ट्रांजैक्शंस’ के विस्तृत विश्लेषण के हिस्से के रूप में अखिल भारतीय स्तर पर जारी रिपोर्ट रिटेल-ओ-नॉमिक्स को देश भर में 10 लाख से अधिक रिटेल टचपॉइंट्स में दर्ज बेसिक लेनदेन पर तैयार किया गया है। जबकि लॉकडाउन के शुरुआती महीनों में रिटेल स्टोरों पर असिस्टेंड डिजिटल लेनदेन की समग्र ट्रांजैक्शंस वैल्यू में मामूली गिरावट (कम से कम 2 फीसदी) थी, वहीं इसी अवधि में लेनदेन के वाॅल्यूम में 45 फीसदी से अधिक का भारी उछाल देखा गया। यह क्रय शक्ति में कमी और बड़े पैमाने पर छोटी राशि की डीबीटी निकासी का प्रतिनिधित्व करता है। इसने मेट्रो और शहरी क्षेत्रों से कम ट्रांजैक्शंस का भी प्रतिनिधित्व किया, मुख्य रूप से मनी ट्रांसफर बिजनेस में गिरावट के चलते ग्रोस ट्रांजैक्शंस वैल्यू (जीटीवी) में क्रमशः 32 फीसदी और 64 फीसदी की तेज गिरावट देखी गई।
हालांकि, अगस्त के अंत तक, जैसा कि प्रवासियों ने अपने कार्य स्थानों पर वापस जाना शुरू कर दिया और भारत ने एक अनलॉकिंग चरण में प्रवेश किया, खुदरा दुकानों पर डिजिटल लेनदेन के समग्र सकल लेनदेन मूल्य में पुनरुद्धार और वृद्धि देखी गई। औसत मासिक ग्रोस ट्रांजैक्शंस वैल्यू (जीटीवी) में 17 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि ट्रांजैक्शंस की मात्रा में लगभग 7 फीसदी की गिरावट आई। यह मनी ट्रांसफर, ट्रैवल और यूटिलिटी पेमेंट व्यवसायों के उबरने और बड़ी राशियों में लेनदेन की वापसी का संकेत था।
जब लॉकडाउन चरण के दौरान आर्थिक संकट तेज हो गया, तो देश ने महानगरों से प्रवासी समुदाय के एक जन आंदोलन को घरवापसी करते हुए देखा। इस अवधि के दौरान, डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर (डीएमटी), या प्रवासी प्रवासियों के पैसे घर भेजने में पहले दो महीनों में 85 फीसदी से अधिक की तेज गिरावट देखी गई, और जुलाई के अंत तक इसमें फिर उबार आया। अनलॉक चरण के आगमन के साथ, प्रेषण व्यवसाय ने एक वी आकार की वसूली देखी और लॉकडाउन के दौरान क्रमशः मूल्य और मात्रा में 106 फीसदी और 100 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
इसी प्रकार, लॉकडाउन चरण के दौरान, सख्त सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों के कारण और बिल भुगतान पर भी स्थगन मिलने के कारण, लोग अपने बिलों का भुगतान करने के लिए अपने घरों से बाहर जाने से बचे जिसके कारण किराने की दुकानों पर उपयोगिता बिल भुगतान के लिहाज से जीटीवी 23 फीसदी की स्पष्ट गिरावट देखी गई। हालांकि अनलॉक चरण में, इन लेनदेन की मात्रा में लगभग 67 फीसदी और मूल्य में 76 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
लॉकडाउन चरण के दौरान रिटेल आउटलेट पर बस, रेल और हवाई यात्रा बुकिंग में 75 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई। हालांकि, अगस्त के मध्य तक चूंकि यात्रा प्रतिबंध में ढील दी गई थी, ऐसे में जरूरी यात्राएं फिर से शुरू हुई और भारत ने प्रवासी श्रमिकों की बड़ी आवाजाही को देखा। यात्रा बुकिंग में वापस उछाल आया और 100 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। मुख्य रूप से रेल और बस बुकिंग में तेजी से वृद्धि हुई।
देश भर में छोटे रिटेल आउटलेट पर एक और लोकप्रिय पेशकश, मोबाइल रिचार्ज में लॉकडाउन चरण के दौरान मूल्य और मात्रा में क्रमशः 39 फीसदी और 34 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो डेटा और टॉक-टाइम की खपत में वृद्धि के चलते थी क्योंकि अधिकांश लोग घर पर रहने के लिए मजबूर थे।
दिलचस्प बात यह है कि देश भर के रिटेल आउटलेट्स पर माइक्रो एटीएम ध्एम-पीओएस इंस्ट्रूमेंट्स की मांग में अनलॉक चरण में 67 फीसदी की तेजी देखी गई, जो अंतिम शख्स तक बुनियादी ढांचे की कमी के अंतराल के बीच इन छोटे रिटेल आउटलेट्स द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
एक अलग दिलचस्प निष्कर्ष में सामने आया कि किराना स्टोर पर कुल लेनदेन का 48 फीसदी लेनदेन सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच हुआ। लेन-देन की महत्वपूर्ण राशि, लगभग 52 फीसदी गैर-बैंकिंग समय क्षेत्र के दौरान पंजीकृत की गई थी, जिसने इन चुनौतीपूर्ण समय में सोशल डिस्टेंसिंग और प्रतिबंधित बैंकिंग घंटों के मद्देनजर इन चुनौतीपूर्ण समय में किराना स्टोर्स की ओर से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए पेनियरबाई के एमडी और सीईओ आनंद कुमार बजाज ने कहा, ‘एनपीसीआई और नंदन ने एईपीएस के साथ भारत का भविष्य सुरक्षित किया था। तथ्य यह है कि लॉकडाउन के दौरान, पिन और चिप दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के कारण 115 मिलियन डेबिट कार्ड सिस्टम से बाहर थे, लेकिन एईपीएस, एटीएम के लिए बीएसपी के रूप में सामने आया। जिससे लोगों को भारत सरकार द्वारा प्रेषित आवश्यक धन का उपयोग करने में मदद मिली। यह हमारे डेटा में परिलक्षित होता है, जहां प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का वितरण, क्षेत्र में एईपीएस निकासी सुविधा के बिना संभव नहीं होता। इन निष्कर्षों से रिटेल एजेंटों के अथक प्रयासों का भी पता चलता है जिन्होंने सुनिश्चित किया कि वे दिन के सभी घंटों में जनता के लिए उपलब्ध रहें। जब पूरे देश को महामारी द्वारा बंधक बना लिया गया था, इन एजेंटों ने अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में कोरोना योद्धाओं के रूप में काम किया।’ बजाज ने कहा, ‘इन चुनौतीपूर्ण हालात के दौरान स्थानीय दुकानों पर वित्तीय मदद को सक्षम करने के लिए खुदरा समुदाय के भीतर एक त्वरित मांग को देखना खुशी की बात है। हमने उन खुदरा विक्रेताओं में तेज वृद्धि देखी जो इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहते थे, और इस दौरान 3 लाख से अधिक पंजीकृत खुदरा विक्रेता इस प्रोग्राम से जुड़े। माइक्रो एटीएम, एमपीओएस और अन्य डिजिटल भुगतान लेनदेन में वृद्धि विशाल उस मांग का संकेत है जो देश भर में डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकी का उपयोग करने को तैयार है, विशेष रूप से टियर 2 और उससे परे के क्षेत्रों में। हमारा ध्यान लास्ट मील कनेक्टिविटी के साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना रहेगा ताकि हम डिजिटल विभाजन को पाट सकें और एकसमान डिजिटल भारत बना सकें।’

Related Articles

1 कमेंट

कोई जवाब दें

कृपया अपनी कमेंट दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Stay Connected

0फॉलोवरफॉलो करें
0सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

error: Content is protected !!