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श्रावण मास 2020: शिव से अधिक दिव्य कुछ भी नहीं

Iti Agrahari

लखनऊ(लाइवभारत24)। सावन के महीने की शुरुआत आज से हो चुकी है हिन्दू पंचांग में श्रावण का महीना पांचवां महीना होता है। ऐसा माना जाता है कि यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय होता है। सावन में भगवान शिव की पूजा आराधना करने से उनके भक्तों की से सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, हिन्दू धर्म में सावन के सोमवार का काफी महत्व होता है।

सावन सोमवार का महत्व

पहला सोमवार 6 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है और 3 अगस्त, रक्षाबंधन वाले दिन इसका समापन होगा।
पहला श्रवण सोमवर का 6 जुलाई, 13 जुलाई को दूसरा श्रवण सोमवार, 20 जुलाई या तीसरा श्रवण सोमवार, 27 जुलाई को चौथा श्रवण सोमवार और 3 अगस्त को होगा जो कि पांचवां और अंतिम श्रवण सोमवार होगा। 3 अगस्त श्रावण मास का आखिरी दिन भी होगा।
सके अलावा श्रावण माह में सूर्य कर्क संक्रांति, गणेश चतुर्थी, भाई पांचें, कामिका एकादशी, मौना पंचमी, सावन शिवरात्रि, शिव चतुर्दशी व्रत, मंगला गौरी व्रत, श्राद्ध अमावस्या और पुत्रदा/पवित्रा एकादशी का व्रत रखा जाता है।
इस महीने सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। पड़ने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनके भक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं और शिव का अभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं और इस वक्त पूरी सृष्टि भगवान शिव के अधीन हो जाती हैं इस साल सावन में अद्भुत संयोग बन रहा है। श्रावण माह की शुरूआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार के दिन होगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार

धार्मिक मान्यतानुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमे निकले हलाहल विष को शिव किया जिस कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने से सृष्टि को इस विष से बचाया. इसके बाद सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं।

इस तरह करें पूजा

पूजा करते समय बेल के पत्ते और धतूरे का इस्तेमाल और गंगाजल अर्पित किया जाता है. साथ ही सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है. पूजा के बाद व्रतकथा जरूर सुनें या पढ़ें।
व्रत रखने वालों को इस दिन भगवान शिव के साथ मां गौरी की पूजा भी करनी होती है. इस दिन तड़के स्नान करने के बाद सफेद या हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद शाम को प्रदोष बेला में 16 प्रकार से पूजन के इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे पुष्प, दूब, बेलपत्र, धतूरा जैसी चीजों से पूजा की जाती है।

क्या है शिव पंचाक्षर स्तोत्र

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र नम: शिवाय: को अक्षरश: विभक्त कर समझा जा सकता है. शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पांचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य है. यह पंचाक्षर स्तोत्र शिवस्वरूप माना जाता है।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवायः॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवायः॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नमः शिवायः॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

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