डॉ अनुरूद्व वर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक,केंद्रीय होम्योपैथी परिषद,भारत सरकार के पूर्व सदस्य

लखनऊ (लाइवभारत24)। विश्व हृदय दिवस का आयोजन पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 29 सिंतबर को किया जाता है । इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हृदय से जुड़े रोगों की गंभीरता के प्रति जागरूकता उत्पन करना , जनसामान्य में ह्रदय रोगों की रोकथाम के बारे में चर्चा करना तथा हृदय को सेहतमंद बनाये रखने की जरूरत के बारे में जनजागृति उत्पन करना है । हृदय रोगों की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष हृदय जुड़ी बीमारियों के कारण लगभग दो करोड़ लोग प्रतिवर्ष हृदय से जुड़ी बीमारियों के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो जाते हैं वहीं भारत मे लगभग तीस लाख लोगों की असमय मृत्यु का प्रमुख कारण हृदय रोग बन कर सामने आ रहें हैं । वर्तमान समय में भागदौड की जिंदगी,आपाधापी, अनियमित जीवन शैली, आलसी जीवन, धूम्रपान, मोटापा, जंक फूड, व्यायाम की कमी, शराब, तनाव, काम का दवाब, वसायुक्त भोजन, उच्च रक्तचाप,मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आदि हृदय रोगों को बढ़ावा दे रहे हैं । जीवनशैलीमें बदलाव कर तनावपूर्ण को नियंत्रित कर, मोटापे को काबू में कर,भोजन में वसायुक्त,मीठी चीजों, जंक फूड को छोड़कर,नमक कम करके,डायबिटीज एवँ उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर, भोजन में नमकके प्रयोग को कम करके, धूम्रपान को छोड़कर, शराब एवँ अन्य नशे की चीजों को छोड़कर काफी हद तक हॄदय रोगों को कम किया जा सकता है । हृदय रोग (सी वी ड़ी ) कई प्रकार के होते हैं जिनमे हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, करोनो धमनी की बीमारी, अनियमित दिल की धड़कन, अथ्रोस्क्लेरिसिस, हृदय के वाल्व के रोग, कॉर्डिओमायोपैथी आदि प्रमुख हैं । अपने दिल की सेहत का हमेशा ध्यान रखने की जरूरत है। समय समय पर चिकित्सक की सलाह लेते रहने चाहिए तथा ध्यान रखना चाहिए कि कहीं असामान्य लक्षण तो नहीं प्रकट हो रहें हैं । हृदय के सेहत को दुरुस्त रखने तथा उपचार में होम्योपैथिक दवाइयाँ काफी हद तक कारगर हैं । होम्योपैथिक द्वारा उपचार की विशेषता यह है कि इसमें रोगी के मन एवँ शरीर का उपचार किया जाता है तथा यह रोगी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को ठीक करती है । होम्योपैथिक उपचार में रोगी को व्यायाम एवँ संतुलित आहार एवँ व्यवहार तथा स्वास्थ्यकर जीवनशैली को अपनाने की भी सलाह दी जाती है। होम्योपैथी का उद्देश्य रोगी के शारीरिक एवँ मानसिक बेहतरी के लक्ष्य को प्राप्त करना है । होम्योपैथिक उपचार के दौरान रोगी को पहले से चल रही एलोपैथिक औषधि को चिकित्सक की राय से ही बंद एवँ परिवर्तित करने की सलाह दी जाती हैं। होम्योपैथी द्वारा गंभीर प्रकार के हार्ट अटैक को छोड़कर उच्चरक्तचाप को कम करने एवं अन्य हृदय रोगों के प्रबंधन एवं रोकथाम करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। होम्योपैथिक औषधियाँ हृदय तंत्र पर कार्य करती हैं अनियमित नाड़ी, सांस फूलना, उच्च रक्तचाप एवँ अन्य हृदय रोगों को पूरी तरह ठीक करने में कारगर हैं। होम्योपैथी निश्चित रूप से पूरी तरह से हृदय के स्वास्थ्य को ठीक करने का कारगर विकल्प साबित हो सकती है ।

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