नई दिल्ली।(लाइवभारत24)। शीतकालीन लोकसभा स़त्र शुरू होते ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया, जो पास भी हो गया। इसके बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कानून वापसी पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्ष से कहा कि आप चर्चा चाहते हैं तो हम वो करवाने को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष ने नारेबाजी जारी रखी। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के लीडर राकेश टिकैत ने कहा, “कृषि कानून वापस हो चुके हैं, लेकिन अब MSP और किसानों की समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए। हम 4 दिसंबर को एक बैठक करेंगे और उस पर आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”

संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों से शांति और मर्यादा बनाए रखने की अपील की। PM ने कहा कि संसद में सवाल हो, लेकिन शांति भी बनी रहे। हमारी पहचान इस बात से हो कि हमने सदन में कितने घंटे काम किया, न कि इस बात से कि सदन में किसने कितना जोर लगाकर संसद को रोका। प्रधानमंत्री का इशारा विपक्ष के हंगामे की तरफ था।

इधर, कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर कांग्रेस ने संसद परिसर में धरना दिया। इसमें कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल समेत पार्टी नेता शामिल हुए। आज ही संसद में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कृषि कानून वापसी बिल पेश करेंगे, जिसे लेकर सांसदों को भेजे गए संसदीय नोट की भाषा पर विवाद खड़ा हो चुका है।

कार्यवाही को लेकर मोदी ने कहा, “हमने देखा कि पिछले दिनों संविधान दिवस भी नए संकल्प के साथ संविधान की आत्मा को चरितार्थ करने के लिए सभी के दायित्व के संबंध में पूरे देश ने संकल्प किया है। इन सबको देखते हुए हम चाहेंगे, देश भी चाहेगा, हर नागरिक चाहेगा कि ये संसद सत्र और आगे आने वाला सत्र आजादी के दीवानों की भावना और अमृत महोत्सव की भावना के लिहाज से संसद भी देश हित में चर्चा करे।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आशा करता हूं कि भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान किया इस तराजू पर तौला जाए। किसने कितना जोर लगाकर संसद को रोका, ये मानदंड नहीं होगा। ये मानदंड होगा कि संसद में कितने घंटे काम हुआ। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा और सवाल का जवाब देने को तैयार है। संसद में सवाल भी हो और शांति भी हो।
“सरकार के खिलाफ, नीतियों के खिलाफ जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वो हो, लेकिन संसद की गरिमा, स्पीकर की गरिमा, चेयर की गरिमा के विषय में हम वो आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए।”
उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट की खबरें भी हमें और सतर्क, सजग करती हैं। मैं संसद के सभी साथियों को सतर्क रहने की प्रार्थना करता हूं। सत्र में देशहित के निर्णय तेजी से और मिलजुलकर करें।
सद के शीतकालीन सत्र में सबकी निगाहें कृषि कानूनों की वापसी के बिल पर हैं। सरकार इसे सत्र के पहले दिन ही सदन में पेश करने जा रही है।

संसद की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर एक बिल पेश करेंगे, जिसमें तीन कृषि कानूनों फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कामर्स (प्रमोशन एंड फैसिलेशन) एक्ट, 2020 और द असेंसिशयल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 को निरस्त किए जाने का प्रस्ताव होगा।

ये तीनों कानून पिछले साल केंद्र सरकार ने पारित कराए थे, जिन्हें विपक्षी दलों से लेकर किसान संगठनों तक के अभूतपूर्व विरोध का सामना करना पड़ा। इन कानूनों की वापसी के लिए किसान संगठन पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं को घेरे बैठे हैं। लगातार विरोध के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी।

केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापसी बिल के अलावा 25 अन्य बिल भी 23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन संसदीय सत्र के दौरान पेश करने की तैयारी की हुई है, जिनमें सबसे अहम बिल प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने से जुड़ा हुआ है। हालांकि सरकार खुद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को डिजिटल करेंसी उतारने की इजाजत दे रही है।

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