– लाॅकडाउन खुलने के बाद से फूड एंड ग्राॅसरी डिलीवरी सेगमेंट में ब्लू कॉलर कामगारों की मांग कोरोना पूर्व के स्तर पर पहुंची
– आईपीएल और उसके बाद त्योहारी सीजन में डिलीवरी सेगमेंट में हर महीने 2.5 से 3 लाख रोजगार के अवसर बन रहे
– हर महीने 25000 लोगों की प्लेसिंग के साथ साल के अंत तक वाहन भारत की सबसे बड़ी प्लेसमेंट फर्म बन जाएगी

नई दिल्ली(लाइवभारत24)। कोविड महामारी के अनलॉक के दौर में कारोबारी गतिविधियां तेजी से सामान्य स्तर पर पहुंच रही हैं। इससे ब्लू कॉलर कामगारों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इनमें बहुत से ऐसे मजदूर शामिल हैं, जिन्हें कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण बिना वेतन के ही अपने घरों को लौटना पड़ा था।
वाहन एक डिजिटल स्टार्टअप है, जो ब्लू कलर कामगारों की नियुक्ति के लिए वाट्सएप आधारित वर्चुअल असिस्टेंट का प्रयोग करता है। हाल के दिनों में रोजगार चाहने वालों और रोजगार प्रदाताओं दोनों ने एक दूसरे से जुड़ने के लिए इसकी टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाया है। शुरू से अंत तक की सभी प्रक्रियाओं को आसान एवं तेज करना इसकी लोकप्रियता का कारण है।
वाहन एप में जुटाए गए डाटा में यह सामने आया है कि फूड एंड ग्राॅसरी डिलीवरी सेगमेंट में ब्लू कॉलर कामगारों की मांग तेजी से बढ़ी है। इस सेगमेंट में कामगारों की मांग का स्तर कोरोना पूर्व के स्तर पर पहुंच चुका है। इस डाटा के मुताबिक लाॅकडाउन के दौरान रोजगार में गिरावट दिखाने वाला डिलीवरी सेक्टर में आईपीएल और त्योहारी सीजन के दम पर हर महीने 2.5 से 3 लाख रोजगार के अवसर सृजित कर रहा है। इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग, सहायक इकाइयों और बीपीओ सेक्टर का नंबर रहा।
वाहन के सह-संस्थापक और सीईओ माधव कृष्णा ने कहा, 'कोविड लॉकडाउन के दौरान गिरावट का सामना करने वाले ब्लू कॉलर रोजगार में हाल के दिनों में डिलीवरी सेगमेंट के दम पर तेजी देखी गई है। इस तेजी में फूड एवं ग्रॉसरी डिलीवरी की अहम भूमिका रही है। यह ट्रेंड भारत में कोविड-19 के बाद इकोनाॅमिक रिकवरी की दिशा में लोगों के बढ़ते रुझान की ओर भी संकेत देता है। भारत में ब्लू कॉलर इंडस्ट्री की काफी अनदेखी हुई है। वाहन में हम लोग टेक्नोलॉजी की मदद से भारत में एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज 2.0 की नींव रख रहे हैं, जो रोजगार चाहने वालों और रोजगार प्रदाताओं को तेजी के साथ और अप्रत्याशित तरीके से बेहद सुगमता से जोड़ता है।
वाहन के प्लेसमेंट सॉल्यूशन में लोगों की रुचि काफी ज्यादा है क्योंकि यह व्हाट्सएप पर आधारित टेक्नोलॉजी का प्रयोग करता है, जो कि पहले से ही लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। साथ ही पूरी प्रक्रिया की सरलता वाहन को और भी लोकप्रिय बनाती है।भारत में 32 करोड़ से ज्यादा ब्लू कॉलर कामगार हैं और कृषि क्षेत्र में रोजगार में आ रही गिरावट के साथ साथ इस तरह के कामगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही हर साल करीब 70 से 80 लाख नए कॉलेज ग्रेजुएट के रूप में वर्क फोर्स तैयार होती है, जिनमें से 60% छात्रों में रोजगार परक कौशल की कमी होती है और अंततः उन्हें ब्लू या ग्रे कॉलर सेगमेंट
में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस कारण से ब्लू कॉलर इंडस्ट्री में प्लेसमेंट की व्यापक संभावनाएं हैं।

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