• लखनऊ की वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण ख़राब होती जा रही है जिससे लोगो में हो रही रेस्पिरेटरी एलर्जी
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड ,पीएम 2.5 प्रमुख रूप से खतरनाक एलर्जी के लक्षणों के लिए होते हैं जिम्मेदार
  •  लोग अपने शहर की वायु की क्वालिटी पर ध्यान दे सकते हैं और जब तक प्रदूषण है तब वे घर के अंदर ही रहने की बना सकते हैं योजना
Dr. Ubaidur Rahman , Regency Superspeciality Hospital, Lucknow,

लखनऊ (लाइवभारत24)। लखनऊ में हवा की क्वालिटी ख़राब होती जा रही है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डाक्टरों ने लोगों को प्रदूषित हवा में सांस लेने को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि इससे सर्दियों की एलर्जी के लक्षण पैदा हो सकते हैं। इन लक्षणों में खांसी, आँखों के नीचे काले धब्बे, आंखें और नाक में खुजली, बहती नाक, छींकना और आंखों में पानी आना आदि शामिल होता है। अगर इन चीजों पर ढंग से ध्यान नहीं दिया गया तो ये एलर्जी हफ़्तों तक रह सकती है और मुंह तथा अन्य सांस लेने वाली गंभीर एलर्जी वाली समस्याएं हो सकती है।

सर्दियों का मौसम आने से ये समस्याएं और ज्यादा ख़राब हो गयी हैं क्योंकि वायु की क्वालिटी दिन ब दिन ख़राब हो रही है और पिछले हफ्ते लखनऊ में AQI लेवल 441 हो गया था। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डाक्टर ने कहा है कि कभी-कभी सर्दियों की एलर्जी होने से सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता कम हो जाती है और इस समस्या से दुनिया की आधी आबादी ग्रसित है।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डॉ उबैदुर रहमान, इंटरनल मेडिसिन एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट ने कहा, “वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन से वायु की क्वालिटी बहुत ख़राब हो गयी है। इससे एलर्जी से होने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ गयी है। सर्दियों में टेम्परेचर गिरने के कारण रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है क्यूंकि प्रदूषित हवा सांस की नली पर सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव डालती है।“
विभिन्न अद्ध्यनो से ज्ञात हुआ है की रेस्पिरेटरी एलर्जी में विशेष रूप से दो प्रकार के प्रदूषक होते हैं. फाइन पार्टिकुलेट मैटर (जिसमे धूल, गंदगी, कालिख और धुआँ शामिल होता है) नाक में जलन और छींकने से जुड़ा हुआ होता है। दूसरा नाइट्रोजन ऑक्साइड जो की पेट्रोल/ डीज़ल के जलने से पैदा होता है, विशेष रूप से नाक से डिस्चार्ज और कंजेशन जैसे लक्षणों को जन्म देता है।
डॉ उबैदुर रहमान ने आगे कहा, “जिन लोगों को एलर्जी से खतरा होता है, वे प्रदूषण से एलर्जी को और ख़राब होने से तो नहीं रोक सकते हैं परन्तु इसकी तीव्रता को कम कर सकते है. ज्यादा समय घर में रहे और जरुरत होने पर ही मास्क लगा कर घर से बाहर निकले। फेस मास्क प्रदुषण एवं एलर्जी से तो बचाता ही है साथ संक्रामक संक्रमण (कम्युनिकेबल इन्फेक्शन) जैसे ट्यूबरक्लोसिस को भी फ़ैलने से रोकता है. घर के अंदर प्रदूषण है तो एयर प्यूरीफायर घर की हवा को साफ़ कर सकता है और आपके परिवार की सुरक्षा कर सकता है। प्यूरीफायर बच्चों और  बुजुर्गों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। लोग निजी वाहन की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करके ट्रैफिक से होने वाले प्रदूषण को कम कर सकते हैं।इसके आलावा कार पूलिंग भी एक अच्छा विकल्प है जिसमे कई लोग काम पे जाने के लिए बारी बारी से अपना वाहन शेयर करते है “

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