•  लखनऊ में डायबिटीज के रोगियों में औसत HbA1c लेवल 8.47 फीसदी रहा। यह किसी मरीज में लंबे समय में ब्लड शुगर कंट्रोल का सर्वश्रेष्ठ संकेतक है।
  • ·डायबिटीज के रोगियों में कोविड-19 से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और जानलेवा खतरा 50 फीसदी से ज्यादा है।
  •  53 साल की औसत उम्र के 600 लोगों को इस विश्लेषण का हिस्सा बनाया गया, जिसमें से 57 फीसदी पुरुष और 43 फीसदी महिलाएं थी

लखनऊ (लाइवभारत24)। वर्ल्ड डायबिटीज डे से पहले नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन ने “इम्‍पैक्ट इंडिया : 100 डे चैलेंज” प्रोग्राम के दूसरे वर्ष की रिपोर्ट जारी की है। भारत में अब तक सर्वश्रेष्ठ स्तर पर कंट्रोल न किए गए डायबिटीज के मुद्दे के समाधान के लिए यह प्रोग्राम 2 साल पहले शुरू किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में सितंबर 2020 में औसत HbA1c लेवल 8.47 फीसदी दर्ज किया गया। हालांकि औसत HbA1c लेवल में पिछले साल के आंकड़ों के मुकाबले आंशिक रूप से कमी आई, लेकिन कोरोना की स्थिति को देखते हुए कुल मिलाकर HbA1c लेवल में बढ़ोतरी गहरी चिंता का विषय है, जिससे अनियंत्रित शुगर लेवल वाले डायबिटीज रोगियों में जानलेवा खतरे के साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां के उभरने का जोखिम ज्यादा है।

लंबे समय में ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए HbA1c की सबसे ज्यादा सिफारिश की जाती है और इसे बेहतरीन संकेतक माना जाता है। इससे पिछले तीन महीने के ब्लड शुगर कंट्रोल का औसत मिलता है। 53 वर्ष की औसत उम्र वाले 600 लोगों को शहर में किए गए इस विश्लेषण का हिस्सा बनाया गया, जिसमें से 57 फीसदी पुरुष और 43 फीसदी महिलाएं थीं।

डॉ. कौसर उस्‍मान, सीनियर फिजिशियन एवं प्रोफेसर- मेडिसिन, किंग्‍स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कहा, “लखनऊ में HbA1c का उच्‍च स्‍तर बड़ी चिंता का विषय है क्‍योंकि कोविड-19 के कारण डायबिटीज के मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां 50 फीसदी ज्यादा है। ग्‍लूकोज लेवल पर नजर रखने के लिए, अच्‍छी जिंदगी अपनाना आवश्‍यक है, हमें साफ-सुथरा खाना चाहिए, रोज एक्‍सरसाइज करना चाहिए और इससे बीमारी को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में मदद मिलती है।”

कोविड-19 के कारण मौजूदा महामारी की स्थिति में डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की दवाइयां और ब्लड शुगर मापने के उपकरण पर्याप्त मात्रा में रखने चाहिए। अगर सांस लेने में तकलीफ, बुखार, सूखी खांसी, थकान, दर्द, गला सूखना, सिर में दर्द, खाने में स्वाद न आना, सुगंध न आना जैसे लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।[1]

iDCI नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम “इम्‍पैक्ट इंडिया : 1000 डे चैलेंज” का हिस्सा है। यह भारत में डायबिटीज के रोगियों की स्थिति जानने के लिए मार्गदर्शक उपकरण का काम करता है। iDCI को देश में डायबिटीज केयर स्टेटस की निगरानी के लिए 2018 में कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर लॉन्च किया गया था। iDCI भारत में औसत HbA1c की वास्तविक स्थिति की तस्वीर पेश कर रहा है। यह चुनिंदा शहरों में डायबिटीज नियंत्रण की स्थिति का महत्वपूर्ण पैमाना या संकेतक है।

इस समय भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या 77 मिलियन से अधिक है। इम्‍पैक्ट इंडिया प्रोग्राम के तहत डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थकर्मियों को भागीदार बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों का लाभ उठाया जा रहा है। इसका लक्ष्य भारत में मौजूदा समय डायबिटीज के रोगियों के देखभाल के बेहतर तरीके को उभारना और उसे लागू करना था। iDCI एक डायनैमिक टूल है, जो न केवल डायबिटीज रोगियों के स्तर का पता लगाता है बल्कि वह इस संबंध में समाज और स्वास्थ्यरक्षा कर्मियों (एचसीपी) को जागरूक, प्रेरित और संवेदनशील बनाता है। पिछले 2 साल के कार्यक्रमों में देश भर से स्वास्थ्य कर्मियों और डायबिटीज रोगियों का काफी योगदान सामने आया है। हर तिमाही में iDCI के नतीजों में सुधार के ट्रेंड दिखाई दे रहे हैं। इससे भारत में डायबिटीज के कारण उभरने वाली परेशानियों के बोझ को कम किए जाने में मदद मिलेगी।

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