लखनऊ (लाइवभारत24)। महामारी के बाद से ही भारतीय इक्विटी बाजार में कुछ जबरदस्त परिवर्तन नजर आए हैं और बाजार ने अभूतपूर्व नाटकीय उतार-चढ़ाव देखे हैं। महामारी को इस बात के लिए भी याद रखा जाएगा कि इसने हम सभी को अपने दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए मजबूर कर दिया है और वर्क फ्राॅम होम की संस्कृति के साथ अपने कामकाज को आगे बढ़ाने वाली कंपनियों के लिए यह नवाचार का कारण भी बनी है। जैसे-जैसे व्यवसाय मॉडल खुद को नए सिरे से कायम करते हैं, वैसे-वैसे टैक्नोलाॅजी को लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है और विभिन्न सेक्टरों में इसकी परिवर्तनकारी भूमिका को भी लोग स्वीकार कर रहे हैं। महामारी से हुए बदलावों ने भारत और विश्व स्तर पर हमारे चारों ओर परिवर्तनकारी रुझानों को तेज किया है और हमें अब पूरी तरह से यकीन हो चला है कि महामारी के बाद वाली अर्थव्यवस्था में भी ये सभी रुझान बने रहेंगे। सरकारी पैकेज का सहारा, वैश्विक निवेश और घरेलू सरलता और कम लागत पर ध्यान केंद्रित करने के संयोजन के साथ हम देख रहे हैं कि हमारे देश में भी अनूठे परिवर्तनकारी समाधान जैसे कि आधार, यूपीआई इत्यादि सामने आ रहे हैं, जिन्हें लोग बड़ी तेजी से स्वीकार कर रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि परिवर्तन और इनसे उपजने वाले नवाचार अब हमारे लिए नए नहीं हैं। हमने गुजरे दौर में भी ऐसे अनेक परिवर्तन देखे हैं – चाहे यह औद्योगिक क्रांति की ही बात हो – पर इस बार जो अलग है वह है बदलाव की गति और हर क्षेत्र में अच्छी तरह से वित्त पोषित परिवर्तनों की उपस्थिति। जाहिर है कि ये परिवर्तन ही व्यापार करने के पारंपरिक तरीकों को खत्म कर रहे हैं।
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