इंजीनियरिंग के सफर में मिली शेफ की मंजिल

पिता ने दी प्रेरणा, कहा जो भी करो दिल से करो

शेफ मोहन सोनी

लखनऊ/नई दिल्ली (लाइव भारत 24)। उनके हाथों में वह जादू है जो सादे खाने को भी लाजवाब स्वाद से भर देता है। क्योंकि उनका मानना है कि सादा खाना भी लजीज बन सकता है, बस उसमें प्यार और इमोशंस का तड़का होना चाहिए। उनके स्वाद को जो भी एक बार चख लेता है, उनकी बेहतरीन कुकिंग आर्ट का दीवाना हो जाता है। जीहां, बात हो रही है, शेफ मोहन सोनी की। उनके प्रशंसक उन्हें मास्टर शेफ और एक एक्सपर्ट फूड क्यूरेटर कहते हैं। उन्हें एक इनोवेटिव कुकिंग एक्सपर्ट भी माना जाता है, जिनके पास देशी-विदेशी ढेरों व्यंजन बनाने का समृद्ध अनुभव है। लाइव भारत 24 ने शेफ मोहन सोनी से उनकी पाक कला पर चर्चा कर जाने उनकी कुकिंग जर्नी के अनुभव।

लखनऊ के आईएचएम से किया कोर्स :

शेफ मोहन सोनी कहते हैं, ईमानदारी से अगर कहूं तो बचपन से ऐसा कोई शौक नहीं था। मैं साइंस का स्टूडेंट रहा हूं। लखनऊ के क्रिश्चियन कॉलेज से बीएससी पासआउट हूं। हालांकि मैं इंजीनियरिंग में जाना चाहता था, मगर जब मेरा उसमें सेलेक्शन नहीं हुआ तो बहुत दुखी था। तब मेरे पापा के एक दोस्त ने अलीगंज स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट
(आइएचएम) लखनऊ के बारे में बताया। मैंने वहां एंट्रेंस एक्जाम दिया जिसमें मेरा सेलेक्शन भी हो गया। फिर मैंने वहां से दो कोर्स किये। एक तो फूड प्रोडक्शन का और फिर वहीं से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। मेरे पिताजी का यह कहना है कि ‘जो भी करो दिल से करो, हाफ हार्टली कुछ मत करो।’ उसके बाद मैंने अपने दिमाग से इंजीनियरिंग का खयाल बिल्कुल निकाल दिया।

1992 में जीता सुपर शेफ का अवार्ड :

शेफ मोहन सोनी कहते हैं, आइएचएम से ट्रेनिंग के बाद मैंने मुंबई में लीला कैंपेन की ट्रेनिंग की। वहां से मैंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर लखनऊ आकर दूसरा कोर्स किया। उसके बाद मैं गोवा चला गया। गोवा में मैंने 1992 में सेकेंड सुपर शेफ का अवार्ड जीता। इस अवार्ड ने मुझे और आगे बढ़ने का जोश दिया। इसके बाद फिर मैंने सोच लिया कि इस लाईन में अब जो भी करना है पूरे दिल से करना है और इसी फील्ड में आगे बढ़ना है।

 कुकिंग बड़े धैर्य का काम है:

वह कहते हैं, कुकिंग बड़े पेशेंस (धैर्य) का काम है। ऐसा नहीं है कि किसी को खाना खिलाना है तो बस पकाया और खिला दिया। आपके घरों में मां, पत्नी, बहन या कोई भी महिला जब खाना बनाकर खिलाती है तो न सिर्फ उसमें स्वाद होता है बल्कि वह पौष्टिक होता है और आपके तन-मन, शरीर को भी लगता है। क्यों, क्योंकि उसमें लाड़-प्यार, इमोशंस होते हैं। ये चीजें अपने आप घर के सादे खाने को भी स्वादिष्ट बना देती हैं।

 मसालों से ज्यादा प्यार और इमोशंस डालिए :

मेरा यह मानना है कि जब तक आप फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से अपने काम में नहीं जुड़ते हैं, तब तक उस काम का बेहतरीन रिजल्ट नहीं आता है। इसलिये अगर आप कुकिंग करते हैं तो उसमें प्यार और इमोशंस भी डालिए। खाने में मसालों से ज्यादा प्यार और इमोशंस डालिए फिर देखिये कैसे आपके खाने में स्वाद आता है।

एफएंडबी इन्डस्ट्री में तीस साल से एक्टिव :

शेफ मोहन सोनी कहते हैं, फूड एंड बेवरेज (एफएंडबी) इन्डस्ट्री में मुझे लगभग तीन दशक से ज्यादा का समय हो गया है। इसके साथ ही हॉस्पिटेलिटी की फील्ड में अब एक मशहूर दिग्गज के रूप में जाना जाता हूं। यह सब कुछ मेरे काम की बदौलत ही संभव हुआ। वह कहते हैं, हां मेरे तीन दशकों के अनुभव ने मुझे कुकिंग की फील्ड में बहुत कुछ सिखाया है। आज भी मैं सीख रहा हूं। मैं यह कभी नहीं कहता कि मुझे सब आता है। मुझे जब भी, जहां भी, छोटे-बड़े जिससे भी मौका मिलता है, मैं सीखता हूं। अपने तीस साल के करियर में करीब 15 साल का अनुभव ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स के साथ काम करते हुए पाया। जिसने मेरे करियर की नींव रखी।

भारी मात्रा में खाना बनाने का मिला अनुभव :

शेफ मोहन सोनी कहते हैं, इस फील्ड में आपको कितनी भी बड़ी मात्रा में खाना पकाने को कहा जाये, बस खुद पर और अपनी पाक कला पर विश्वास रखना चाहिए। फिर देखिये कितनी आसानी से आप अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं। साथ ही संस्थागत खानपान के क्षेत्र में विशेषज्ञता भी जरूरी है। बड़ी मात्रा में खाना पकाने के क्षेत्र में मेरी विशेषज्ञता को ओबेरॉय फ्लाइट सर्विसेज के साथ और भी अच्छी पहचान मिली। जहां मैं उस टीम का हिस्सा था जिसने भारत की सबसे बड़ी नई शुरुआत की फ्लाइट किचन की।

 नेशनल ही नहीं इंटरनेशनल स्वाद भी :

वह कहते हैं, मैंने विदेशी लोगों के साथ भी काम किया। जर्मन, इटैलियन, ऑस्ट्रेलियन, स्कॉटिश, ब्रिटिश के साथ काम किया। उनसे बहुत कुछ सीखा। आजकल तो लोग यूट्यूब चैनल से सीखते हैं। उस समय तो यह सब नहीं होता था। मैंने तो सिर्फ दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों के साथ काम करके सीखा है।

 अवधी बिरयानी सिग्नेचर डिश, दही के कोफ्ते नई डिश :

एक भारतीय होने के नाते मैं भारतीय डिश पर एक्सपरीमेंट करता हूं। हालांकि वेस्टर्न कुजीन भी ट्राई करता रहता हूं। हाल ही में मैंने दही के कोफ्ते एक नई डिश लॉन्च की है। चूंकि मैं अवध से हूं तो मेरी सिग्नेचर डिश अवधी बिरयानी है जिसे मैं अपने हिसाब से बनाता हूं।

 यूट्यूब पर कोरोना के चलते वेजिटेरियन डिश पर जोर:

मेरे बहुत सारे वीडियो यूट्यूब पर हैं। आजकल कोरोना के चलते वेजिटेरियन डिश पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूं। हाल ही मैंने अभी राजमा और सोयाबीन के कबाब बनाये हैं जो लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं।

25000 लोगों के लिये खाना बनाना चुनौती :

वह कहते हैं, हम ब्रिटिश एयर, यूनाइटेड एयर, केएलएम, एयर फ्रांस, कतर, एअरोफ़्लोत, एतिहाद, एयर इंडिया, रॉयल नेपाल, JAL (जापान एयर लाइन्स), जेट एयर लाइन्स इंटरनेशनल के लिए प्रति दिन 25000 के करीब लोगों के लिये खाना बनाता था। हालांकि ये बहुत चुनौतीपूर्ण समय था, लेकिन मेरे लिये एक बहुत समृद्ध अनुभव भी था।

  बेहतरीन अनुभव के साथ अब फ्रीलांस कंसल्टेंसी :

शेफ मोहन सोनी हाल ही में इंडिया के फर्स्ट सुपर डीलक्स एंड लग्जरी क्लब के लिए भी चुने गये थे। डलास मैगनोलियास, डलास अरलियास, डीएलएफ कंट्री गोल्फ क्लब, डीएलएफ क्लब 5, क्लब वीटा और डीएलएफ द क्रेस्ट के लिये। वर्तमान में फ्रीलांस कुकिंग कंसल्टेंसी कर रहे हैं।

 प्रोडक्शन, पीपुल, प्रॉफिट पर कंसंट्रेट :

शेफ मोहन सोनी कहते हैं, फूड प्रोडक्शन टीम के प्रमुख के रूप में काम कर रहा हूं। मैं टीम और खुद दोनों के लिए उच्च मानक स्थापित करने में विश्वास रखता हूं। मैं आतिथ्य के तीन मुख्य क्षेत्रों प्रोडक्शन, पीपुल, प्रॉफिट पर अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में विश्वास करता हूं। मेरा मानना ​​है कि ग्रेट हॉस्पिटैलिटी ग्रेट टीम वर्क का नतीजा है। और ग्रेट टीम वर्क के कारण उत्पादकता में वृद्धि होती है और बढ़ी हुई उत्पादकता सभी के लिए एक लाभदायक अनुभव में योगदान देती है। इस फील्ड में एक गेस्ट की खुशी के साथ उसकी संतुष्टी बहुत मायने रखती है। इसलिये इस क्षेत्र में गेस्ट मैनेजमेंट बेहद जरूरी टूल है।

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