खाद्य सुरक्षा के साथ हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण का भी होना चाहिए

लखनऊ(लाइवभारत24)।उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को राजभवन से जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय एवं   मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के कृषि संकाय द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन के काल में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा, चुनौतियां एवं समाधान विषयक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन मानव के लिये खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि चक्रवात, सूखा, बाढ़, भूस्खलन, लू और समुद्र का बढ़ता जल स्तर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक है। उन्होंने कहा कि भारतीय पर परा में पेड़ पौधों में परमात्मा, जल में जीवन, चांद और सूरज में परिवार का भाव देखने को मिलता है। वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना जाता है। उन्होंने कहा कि मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस निर्ममता से प्रकृति का शोषण किया है, उसका परिणाम यह है कि आज पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे ज्यादा परेशानी समाज के निर्धन एवं वंचित लोगों पर ही पड़ती है। इसलिये वर्तमान पीढ़ी का यह दायित्व है कि वह भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखने का प्रयास करे। श्रीमती पटेल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पडऩा स्वाभाविक है। जलवायु परिवर्तन द्वारा दृष्टिगत हो रहे दुष्प्रभावों का सामना करने में जैव प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा सकती है। जैव प्रौद्योगिकी द्वारा ऐसी प्रजातियाँ विकसित करने की आवश्यकता है, जिन्हें विषम परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सके। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के साथ साथ हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण भी होना चाहिए। अत: ऐसे सभी विकल्पों को ढूंढऩे की आवश्यकता है, जो रसायनों के ऊपर निर्भरता कम कर सके। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे कृषक दिन रात मेहनत कर देश की खाद्य सुरक्षा को बनाये रखने के लिये प्रयासरत हैं। आज किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप हमारे खाद्य भण्डार भरे रहते हैं। हमारा देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अब आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि कोविड 19 के विभिन्न चरणों के लॉकडाउन के दौरान देश में खाद्यान्न आपूर्ति की निरन्तरता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि भारत में खाद्यान्न सामग्री की दिक्कत नहीं हुई। केन्द्र और प्रदेश सरकार ने निरन्तर खाद्य आपूर्ति चेन को बनाये रखा। श्रीमती पटेल ने पोषण सुरक्षा के लिये संतुलित आहार में पोषक तत्वों की पर्याप्त उपस्थिति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिये प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र के 43,5 प्रतिशत बच्चे एवं 50 प्रतिशत महिलाएं कुपोषण एवं एनीमिया का शिकार हैं। इसमें ज्यादातर हमारी ग्रामीण महिलाएं और बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण हमारे अस्तित्व, विकास, स्वास्थ्य, उत्पादकता और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कल्पतला पाण्डेय, विषय विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र छात्राएं ऑनलाइन जुड़े हुए थे।

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