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ममता बनर्जी की शारदा घोटाले में बढ़ीं मुश्किलें

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बंगाल में मुख्यमंत्री राहत कोष (CM Relief Fund) के पैसे से घोटाले में फंसी तारा टीवी के कर्मचारियों को सैलरी दी गई। इस फंड से 23 महीने तक कर्मचारियों की सैलरी का पैसा निकाला गया। सरकारी फंड से प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों को सैलरी देने का यह पहला मामला है। CBI ने कोर्ट को बताया कि मई 2013 से लेकर अप्रैल 2015 के बीच तारा टीवी के कर्मचारियों की सैलरी के लिए हर महीने CM रिलीफ फंड से 27 लाख रुपए दिए गए। इस दौरान तारा टीवी एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन को 6.21 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। इस मामले में और जांच जारी है। CBI ने कहा कि कोलकाता हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को कंपनी के फंड से सैलरी देने को कहा था, लेकिन बंगाल सरकार ने CM रिलीफ फंड का पैसा दे दिया। CM रिलीफ फंड में जनता की तरफ से आपदा और दूसरी इमरजेंसी के लिए रकम दान की जाती है। इसका इस्तेमाल सैलरी के लिए कर लिया गया। इस मामले में आगे जांच के लिए पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी से जानकारी मांगी गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने आधे-अधूरे दस्तावेज ही मुहैया कराए। CBI ने ममता के करीबी और कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी की मांग भी की। राजीव कुमार को पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट से जमानत मिली थी। अब CBI ने कोर्ट में कहा है कि राजीव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए उनकी गिरफ्तारी जरूरी है। शारदा चिटफंड घोटाले की शुरूआती जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने जिस SIT का गठन किया था राजीव कुमार उसमें शामिल थे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे चिटफंड मामलों के साथ शारदा घोटाले की जांच भी CBI को सौंप दी थी।
शारदा चिटफंड के डायरेक्टर्स सुदीप्त सेन, देबजानी मुखर्जी समेत TMC के कई नेता इस घोटाले में फंसे हुए हैं। सीबीआई का कहना है कि राजीव कुमार ने टॉप TMC नेताओं और शारदा चिट फंड्स के डायरेक्टर्स को बचाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने कॉल रिकॉर्ड डेटा के साथ छेड़छाड़ कर सबूत मिटाने का काम किया।
शारदा चिटफंड ग्रुप ने पश्चिम बंगाल में कई फेक स्कीम्स चलाई थीं, जिसमें कथित तौर पर लाखों लोगों के साथ फ्रॉड किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट।

इस घोटाले के 2,460 करोड़ रुपए तक का होने का अनुमान है। पश्चिम बंगाल पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। 2013 में जब इसका खुलासा हुआ, तो लोगों के करोड़ों रुपए डूब गए। उसी साल प्रोमोटर सुदीप्त सेन को गिरफ्तार कर लिया गया।

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