लखनऊ/नई दिल्ली(लाइवभारत24)। जेके ट्रस्ट ने भारत के आईवीएफ भैंस बछड़ों के पहले बैच की घोषणा की, जिन्होंने राहु, तालुका, दौंड, जिला -पुणे के पास स्थित एक बड़े भैंस फार्म में जन्म लिया। इस तरह की पहली पहल, जेके बोवाजेनिक्स द्वारा कीगई थी, जो जेकेट्रस्ट की एक पहल है, जो पशुपालन के क्षेत्र में काम करने वाली एक प्रमुख गैर सरकारी संस्था है और वर्तमान में पूरे देश में “कैटल एंड बफेलोब्रीड इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम” को लागू कर रही है। ये 5 आईवीएफ भैंस के बछड़े, जो पुणे के पास ओनसोवन बफेलो फार्म से 4 भैंसों से पैदा हुए थे, भारत में आईवीएफ के माध्यम से पैदा हुए जुड़वां भैंस बछड़ों का पहला मामला है। ये बछड़े मुर्रा नस्ल के हैं, जो दुनिया की सबसे प्रसिद्ध भैंस नस्लों में से एक है। जेके ट्रस्ट, रेमंड ग्रुप की एक सामाजिक पहल, पशुपालकों की विभिन्न पहल को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर रही है जो कि गोकुल मिशन में हैं। संगठनआईवीएफ के माध्यम से गायों से बछड़ों का उत्पादन कर रहा है और अब असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) को तैनात करके भैंस से बछड़े पैदा करने में सफलतापाई है।
अपनी पहली उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, रेमंड ग्रुप के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, गौतम हरि सिंघानिया ने कहा “मैं आईवीएफ के माध्यम से भैंस के बछड़ों का उत्पादन करने के लिए रेमंड ग्रुप के तत्वावधान में जेके बोवगेनिक्स द्वारा प्राप्त मील के पत्थर से खुश हूं। यह अपनी तरह की एक पहल है जो हमारे राष्ट्रीय डेयरी उत्पादन को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देने की क्षमता को बढ़ाती है। यह जरूरी है कि आज के संदर्भ में हम अपने देसी मवेशियों और भैंसों की नस्लों का संरक्षण करें, क्योंकि उनके द्वारा दिए गए दूध में बीमारियों से लड़ने के लिए अधिक पोषण मूल्य होते हैं। इसके अलावा, भारतीय डेयरी उत्पादन में वृद्धि भारतीय गांवों में जमीनी स्तर पर अधिक वृद्धि की शुरूआत करसकती है।” —