लखनऊ(लाइवभारत24)। समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती को दूर करने की आवश्यकता महसूस करते हुए, जियोसाइकल – जो समाधानों के निर्माण में वैश्विक अग्रणी, लाफार्ज होल्सिम की वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन शाखा है – नदियों, नालों को समुद्र में पहुंचने से पहले उनमें से प्लास्टिक्स को हटाने के लिए भारत में एक स्मार्ट एवं नॉन-इन्वेसिव टेक्नोलॉजी को ला रहा है। लाफार्जहोल्सिम,अंबुजा सीमेंट्स और एसीसीलिमिटेड की जनक कंपनी है। उक्त दोनों कंपनियांभारत की दो प्रमुख सीमेंट उत्पादक कंपनियां हैं। जियोसाइकल इंडिया, अंबुजा और एसीसी की आंतरिक कचरा प्रबंधन शाखा है। यह औद्योगिक, कृषि, नगरपालिका और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन सेवाओं की अग्रणी प्रदाता है। प्लास्टिक के कचरे को यमुना नदी में प्रवेश करने से रोकने के लिए जियोसाइकल भारत में पहली बार नयी’बबल कर्टेन’ तकनीक को लागू कर रहा है। उत्तर प्रदेश में आगरा शहर की मंटोला नहर पर जियोसाइकिल बबल बैरियर स्थापित किया गया है, जो आगरा शहर के 40% स्टोर्म और अपशिष्ट जल को वहन करती है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) भारत के “वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्य योजना” के तत्वावधान में जियोसाइकिल ने आगरा नगर निगम, जीआईजेड इंडिया एवं कैनेडियन पॉन्ड के साथ तकनीक प्रदाता के रूप में साझेदारी की हैऔर आगरा को प्लास्टिक मुक्त बनाने के मिशन की दिशा में काम कर रहा है। एक बार सफल होने के बाद, इस तकनीक को अन्य देशों में दोहराया जाएगा। जियोसाइकल भारत भर में नॉन-रिसाइक्लेबल प्लास्टिक सहित नगरपालिका ठोस कचरे को महत्वपूर्ण मात्रा को सह-संसाधित करके स्वच्छ भारत मिशन का समर्थन करता है। लाफार्जहोल्सिम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारत और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीरज अखौरी ने बताया, “नदियों के प्लास्टिक कचरे की सफाई को लेकर जियोसाइकल का दृष्टिकोण नदी की साफ-सफाई से जुड़ी अन्य परियोजनाओं जो लैंडफिलिंग या जलाने पर निर्भर हैं, से अलग है। जियोसाइकल का विशाल सह-प्रसंस्करण बुनियादी ढांचा एकत्रित कचरे के सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल अंतिम उपचार की गारंटी देता है: सीमेंट भट्टे में सह-प्रसंस्करण से ऊर्जा वापस प्राप्त हो जाती है और कचरे के मैटेरियल वैल्यू को रिसाइकल करता है और इस प्रकार, जरा भी कचरा नहीं बचता है।”
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