कोलकाता(लाइवभारत24)। आने वाले दिनों में मछली प्रेमी, विशेष रूप से बंगाली लोग गंगा नदी में भी ताजा हिल्सा का स्वाद ले पाएंगे और उनके लिए यह काम कर दिखाया है लार्सन एंड टुब्रो के जियोस्ट्रक्चर कारोबार द्वारा निर्मित एक अनूठी परियोजना ने। गंगा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में प्रयागराज तक मछलीप्रेमी इस परियोजना के फायदों को हासिल कर सकेंगे, क्योंकि इसके माध्यम से बांग्लादेश से गंगा के ऊपर हिस्सों तक मछली को तैरने का अवसर मिलेगा। गंगा की जैव विविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से, भारतीय अधिकारियों ने फरक्का बैराज पर जलद्वार को वर्तमान स्तर से ऊपर प्रतिदिन चार घंटे तक खोलने का निर्णय लिया है। इससे सबसे लोकप्रिय मछलियों में से एक हिल्सा को पद्मा नदी के नमकीन पानी से लेकर गंगा नदी के मीठे पानी तक तैरने के लिए मदद मिलेगी। 1976 में फरक्का नेविगेशन लॉक के निर्माण के बाद प्रयागराज तक हिल्सा मछली की आवाजाही रोक दी गई थी। फरक्का में नए नेविगेशन लॉक की घोषणा हाल ही में की गई थी, इसका निर्माण के पूरा होने के बाद जून 2021 से इसके खुलने की संभावना है। यह चार दशकों के बाद गंगा के पानी में हिल्सा मछली की आबादी को बढ़ाने में मदद करेगा। एलएंडटी जियोस्ट्रक्चर के हैड और चीफ एक्जीक्यूटिव आॅफिसर एस. कनप्पन कहते हैं, ‘‘हमें खुशी है कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने जल मार्ग विकास परियोजना के एक हिस्से के रूप में फरक्का में एक नए नेविगेशन लॉक के निर्माण का जिम्मा एलएंडटी जियोस्ट्रक्चर को सौंपा है। कंपनी को पर्यावरण की गुणवत्ता के साथ-साथ गंगा नदी के निवासियों के सांस्कृतिक जीवन में बदलाव लाने में खुशी हो रही है।’’ यह साइट पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का में फरक्का बैराज के फीडर कैनाल पर स्थित है। फरक्का में मौजूदा लॉक गेट, जो 1978 से चालू है, हालांकि इसकी अक्षमता के कारण आईडब्ल्यूूएआई नेएक नया लाॅक प्रस्तावित किया। इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जैसे मेटर गेट्स, केसन गेट्स, बल्क हेड गेट्स और रेडियल गेट्स कोे इलेक्ट्रो-हाइड्रॉलिक ऑपरेशन के साथ संचालित करना और कंट्रोल रूम से सभी दरवाजांे को दूर से कंट्रोल करना। कोलकाता से 280 किलोमीटर की दूरी पर, फरक्का बैराज में नेविगेशनल लॉक के काम से कोलकाता बंदरगाह को भी एक नया जीवन मिलेगा। एल एंड टी द्वारा नए नेविगेशनल लॉक का निर्माण किया जा रहा है, जिससे जहाजों को सुचारू और तेजी से फैलाया जा सकेगा। यहां से गुजरने वाले जहाजों को मौजूदा लॉक कुशलता से संभालने में असमर्थ है, लॉक को पास करने मंे जहाजों को बहुत समय लग जाता है। जल मार्ग विकास परियोजना को 1500 – 2000 टन की क्षमता वाले जहाजों के लिए विश्व बैंक की सहायता से क्रियान्वित किया जा रहा है। परियोजना के पहले चरण में हल्दिया – वाराणसी शामिल है, जिसमें फेयरवे का विकास, बहु-माॅडल टर्मिनल, नदी नेविगेशन प्रणाली को मजबूत करना, संरक्षण कार्य, आधुनिक नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) शामिल हैं। कुछ मुख्य विशेषताओं में 250 मीटर बाई 25.15 मीटर बाई 14.14 मीटर का एक नया नेविगेशनल लॉक और 301 बाई 15.14 मीटर की गाइड वाॅल्स शामिल हैं।

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