क्वाड। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के नेतृत्व क्षमता की विश्व पटल पर सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी 20, ग्लोबल साउथ के अलावा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड को मजबूत करने की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का नेतृत्व विश्व में शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं भारत के खिलाफ आए दिन साजिश करने वाले चीन और पाकिस्तान को क्वाड देशों ने मिलकर चेताया है।
क्वाड के संयुक्त बयान में 26/11 के मुंबई आतंकी हमले और पठानकोट आतंकी हमले की निंदा की गई। बयान में कहा गया कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के 1276 सैंक्शन कमेटी के माध्यम सेन हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ा ऐक्शन होना चाहिए। क्वाड नेताओं ने समान रूप से आतंकवाद और हिंसक कट्टरपंथ की निंदा की। चारों देशों ने मिलकर आतंकवाद से निपटने की प्रतिबद्धता दोहराई। क्वाड के संयुक्त बयान में कहा गया, मुंबई आतंकी हमले और पठानकोट हमले को लेकर हम फिर से निंदा करते हैं। क्वाड वर्किंग ग्रुप की बैठक में आतंकवाद से निपटने के विषय पर विस्तार से चर्चा की गई थी। यह बैठक बीते साल होनुलुलु में हुई थी और इस बार नवंबर में जापान में होनी है। भारत हमेशा पाकिस्तान के असली चेहरे को दुनिया के सामने बेनकाब करता रहा है। वहीं आतंकवाद को लेकर भारत का रुख हमेशा से कड़ा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पाकिस्तान को लताडऩे में भी कसर नहीं छोड़ता है।
क्वाडÓ की इस चौथी बैठक के बाद जारी विलमिंगटन घोषणापत्र में कहा गया, ‘क्वाड को नेता-स्तरीय प्रारूप में उन्नत किए जाने के चार साल बाद यह समूह रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। ‘क्वाडÓ अच्छे मकसद से बनाया गया समूह है जो हिंद-प्रशांत के लिए वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी प्रभाव छोड़ता है।Ó घोषणापत्र में कहा गया, ‘हम इस तथ्य का जश्न मनाते हैं कि केवल चार साल में ‘क्वाडÓ एक महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह बन गया है जो आगामी कई दशकों तक हिंद प्रशांत को मजबूत करेगा।Ó
इसमें कहा गया, ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चार प्रमुख समुद्री लोकतांत्रिक देशों के रूप में हम इस गतिशील क्षेत्र में उस शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए स्पष्ट रूप से खड़े हैं जो वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए अनिवार्य है।Ó उन्होंने चीन का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद है। वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। दूसरी ओर, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे करते हैं।
घोषणापत्र में कहा गया , ‘हम क्षेत्र में हाल में किए गए उन अवैध मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं। हम समुद्री क्षेत्र में हाल में की गई खतरनाक और आक्रामक कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई भी देश किसी भी देश पर हावी न हो, जहां सभी देश दबाव से मुक्त हों और अपने भविष्य को निर्धारित करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें।Ó चारों राष्ट्र एक स्थिर और मुक्त अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें मानवाधिकारों, स्वतंत्रता के सिद्धांत, कानून के शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान एवं बल प्रयोग या धमकाने पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत रोक के प्रति प्रबल समर्थन शामिल है।
‘क्वाडÓ राष्ट्रों ने हिंद-प्रशांत में प्रशिक्षण के लिए एक नयी क्षेत्रीय समुद्री पहल (मैत्री) की घोषणा की, ताकि क्षेत्र में उनके साझेदार हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र जागरूकता (आईपीएमडीए) और ‘क्वाडÓ के साझेदारों की अन्य पहलों के माध्यम से प्रदान किए गए उपकरणों का अधिकतम लाभ उठा सकें जिसकी मदद से वे अपने जलक्षेत्र की निगरानी एवं सुरक्षा कर सकें, अपने कानूनों को लागू कर सकें और गैरकानूनी व्यवहार को रोक सकें। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘हम 2025 में भारत की मेजबानी में पहली ‘मैत्रीÓ कार्यशाला को लेकर उत्सुक हैं। इसके अलावा, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए ‘क्वाडÓ समुद्री कानूनी वार्ता की शुरुआत का स्वागत करते हैं। ‘क्वाडÓ साझेदार आगामी वर्ष में आईपीएमडीए में नयी तकनीक और डेटा जोडऩे के इच्छुक हैं ताकि क्षेत्र को अत्याधुनिक क्षमता और जानकारी प्रदान करना जारी रखा जा सके।
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