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जेनेसिस फाउन्डेशन और एसबीआई लाईफ इंश्योरेन्स के सहयोग से 42 दिन की बच्ची में किया गया एक्टोपिया कोर्डिस का इलाज

सीएसआर साझेदारी के तहत इलाज के लिए दिया गया सहयोग

लखनऊ (लाइवभारत24)। जन्मजात दिल की बीमारियों से पीड़ित वंचित समुदायों के बच्चों के उपचार के लिए काम करना वाला गैर-लाभ संगठन जेनेसिस फाउन्डेशन अब तक 3100 बीमार बच्चों के इलाज में सहयोग प्रदान कर चुका है। हाल ही में फाउन्डेशन ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेन्स के साथ सीएसआर साझेदारी के तहत केरल के पलक्कड़ से 42 दिन की आयशा के इलाज में सहयोग दिया, जो दुर्लभ सीएचडी- एक्टोपियाकोर्डिस और पार्शलस्टर्नलक्लेफ्ट से पीड़ित थी। 23 जनवरी 2021 को बच्ची के जन्म के तुरंत बाद, डॉक्टरों ने पाया कि बच्ची के दिल की पल्स उसकी छाती की दीवार पर विज़िबल थी। वह डिसलोकेटेड लेफ्ट हिप जॉइन्ट से भी पीड़ित थी, डॉक्टरों ने बाएं कूल्हे पर प्लास्टर लगाकर उसका उपचार किया। बच्ची की डिलीवरी का सभी खर्च आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर किया गया था।

कूल्हे की सर्जरी के बाद, उसकी दिल की बीमारी की जांच की गई। ईको और सीटी स्कैन में पाया गया कि बच्ची एक दुर्लभ सीएचडी-एक्टोपियाकोर्डिस एवं पार्शल स्टर्नलक्लेफ्ट से पीड़ित है। एक स्वस्थ बच्चे का दिल स्टर्नम से ढका होता है, लेकिन आयशा के दिल में स्टर्नमन हीं था। उसे एट्रियल सेप्टलडिफेक्ट (एएसडी) भी था, यानि उसके दिल के उपरी चैम्बर्स के बीच एक छेद था। जिसके लिए तुरंत दिल की सर्जरी करने की ज़रूरत थी।

आयशा के पिता, एक टैम्पो चलाते हैं, उनकी मासिक आय रु 5000 है, उन्हें अपनी बच्ची की जान बचाने के लिए आर्थिक सहयोग की ज़रूरत थी। जेनेसिस फाउन्डेशन ने अपनी साझेदारी के तहत एसबीआई लाइफ के सहयोग से सर्जरी के लिए आर्थिक सहायता जुटाई। इस मदद से, 5 मार्च को कोच्चि के अमृता इन्सटीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज़ में आयशा की सफल सर्जरी की गई। चार घण्टे तक चली इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ बृजेश और डॉ संुदीप विजय राघवन के द्वारा किया गया। सर्जरी के बाद आयशा को 15 मार्च को स्टेबल स्थिति में छुट्टी दे दी गई।

ज्योति सागर, फाउंडर ट्रस्टी, जेनेसिस फाउन्डेशन ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी अभी जारी है और हमारे देश में जन्मजात दिल के रोगों का खतरा भी जारी है। आयशा के मामले में हम चालू वित्तीय वर्ष के अंत में पहुंच गए थे। हमारे पार्टनर अस्पतालों और एसबीआई लाइफ इंश्योरेन्स के साथ नई साझेदारी के माध्यम से आयशा की सर्जरी के लिए आर्थिक सहायता जुटाई गई-हमें खुशी है कि हम इस बच्ची को नया जीवन देने में सफल रहे हैं।’’

डॉ बृजेश पीकोट्टायिल, कन्सलटेन्ट पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जरी ने कहा, ‘‘अमृता इन्सटीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज़ का पीडिएट्रिक कार्डियोलोजी और प्लास्टिक सर्जरी विभाग, फाउन्डेशन एवं उनके सीएसआर डोनर एसबीआई लाइफ इंशयोरेन्स के प्रति आभारी है जिन्होंने इस मुशिकल मामले में अपना सहयोग दिया है। इस सहयोग के बिना बच्ची का बचना मुशिकल था। यह देखकर अच्छा लगता है कि आयशा अब अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी रही है। जेनेसिस फाउन्डेशन हमेशा से जटिल जन्मजात बीमारियों से पीड़ित नवजात शिशुओं और बच्चों के सहयोग में अग्रणी रहा है।’’

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