कानपुर (लाइवभारत24)। वाल्व की बीमारी तब होती है जब हृदय के वाल्व या तो वाल्वुलर स्टेनोसिस या वाल्वुलर अपर्याप्तता के कारण सही ढंग से काम नहीं करते हैं । दिल के वाल्व रोग के कुछ शारीरिक लक्षणों में धड़कन, सांस लेने में कठिनाई, थकान, सीने में दर्द, कमजोरी या नियमित गतिविधि स्तर को बनाए रखने में असमर्थता, घबराहट या बेहोशी, टखने, पैर या पेट में सूजन शामिल हैं। डॉ सईद अख्तर, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, कानपुर ने कहा की सर्जरी के बाद आपकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होगा, और आप देखेंगे कि प्रत्येक दिन आप थोड़ा बेहतर महसूस करेंगे। हालांकि, अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस आने के लिए ऐसे मरीजों को अपनी जीवन शैली में बदलाव करने की आवश्यकता होती है।
डॉ सईद अख्तर, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, कानपुर ने कहा, “बड़ी संख्या में मरीज़ दिल के वाल्व रोगों से पीड़ित हैं और उनमें से आधे को सर्जरी की आवश्यकता होती है। हमारे पास न केवल कानपुर और आसपास के शहरों से बल्कि बिहार से भी मरीज आते हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज युवा हैं। वाल्व रोग चार वाल्वों में से एक या अधिक में हो सकता है। सर्जरी से पहले, कार्डियोलॉजिस्ट वाल्व की बीमारी के स्थान, प्रकार और सीमा की पहचान करने में मदद करने के लिए एक सावधानीपूर्वक चिकित्सा परीक्षा और नैदानिक परीक्षण करता है। फिर, सर्जरी के दौरान, सर्जन या तो रोगग्रस्त वाल्व मरम्मत करता है या बदल देता है। यदि सर्जन हृदय वाल्व को बदलने का फैसला करता है, तो पुराने वाल्व को हटा दिया जाता है और एक नया वाल्व पुराने वाल्व के एनलस को सिल दिया जाता है । नया वाल्व या तो मैकेनिकल होता हैं या बायोलॉजिकल (जैविक) हो सकता है। मैकेनिकल वाल्व पूरी तरह से विशेष धातुओं या मिश्र धातुओं से बने होते हैं और बायोलॉजिकल वाल्व पशु वाल्व के टिश्यू (ऊतकों) से बने होते हैं।“
रीजेंसी में हृदय वाल्व रोग का सस्ता और प्रभावी उपचार किया जाता हैं। इसका उपचार बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। हृदय वाल्व रोग के उपचार के तीन लक्ष्य हैं: अपने वाल्व को और अधिक क्षति से बचाना; लक्षणों को कम करना; और वाल्व की मरम्मत या वाल्व बदलना। नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से डॉक्टर हृदय वाल्व रोग के स्थान, प्रकार और सीमा की पहचान करता है। इन परीक्षणों के परिणाम, आपके दिल की संरचनाआपकी उम्र और जीवनशैली पर निर्धारित होता हैं। सामान्य रिकवरी का समय लगभग चार सप्ताह है, लेकिन यह आपकी स्थिति के आधार पर बदल सकता है।
डॉ सईद अख्तर ने कहा,”आपके दिल के वाल्व की बीमारी वापस न आए इसके लिए आपको सावधानी बरतने कि सख्त ज़रूरत है। सही देखभाल के लिए अपने डॉक्टर से अपनी सेहत के बारे में बात करते रहे और ज़रूरत पड़ने पर मिले भी । वाल्व पर थक्का बनने से बचने के लिए मैकेनिकल वाल्व वाले मरीजों को एंटीकोगुलेंट थेरेपी (ब्लड थिनर) दी जाती है। इन रोगियों को दवा के बारे में बहुत विशेष ध्यान रखना चाहिए और नियमित रूप से दवाई लेनी चाहिए। रक्तस्राव या थक्का बनने की शिकायत से बचने के लिए उन्हें नियमित अंतराल पर कुछ आहार प्रतिबंध और रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है और अपने डॉक्टरों द्वारा सलाह के अनुसार नियमित रूप से अनुवर्ती कार्रवाई करनी चाहिए।
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