● स्वाइप करने की पांच शीर्ष वजहों में शामिल हैं ‘नए कनेक्शन्स’, ‘फन हैंगआउट्स’, और ‘फ्रैंड्स विदइन कम्यूनिटीज़’

● नए लोगों को ढूंढ़ने या बस जुड़े रहने के लिए 90% जनरेशन ज़ेड भारतीय अपने डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं

● वर्चुअल कनेक्‍शंस का दौर लंबे समय तक चलेगा; 47% भारतीय सिंगल्स का कहना है यदि 2020 से तुलना की जाए तो उन्हें वर्चुअल तरीके से ज़्यादा रचनात्मक महसूस होता है

लखनऊ (लाइवभारत24)। पिछले डेढ़ साल से भी ज़्यादा समय से क्वारंटाइन होने के कारण जनरेशन ज़ेड भारतीयों में सोशल लाइफ को चमकाने की प्रबल इच्छा दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से, ध्यान बंटे रहने के लिए हमने कई रोचक ट्रेंड्स देखे। लेकिन, दुर्भाग्य से डलगोना कॉफी हमें केवल कुछ दूर ही ले जा सकी। टिंडर के हाल ही में किए गए सर्वे में यह बात साफ होती है कि सोशल मेलजोल में कमी के कारण सर्वेक्षण किए गए 3 जनरेशन ज़ेड भारतीयों में से 1 आजकल अकेला महसूस करता है (35%); और उन्हें लगता है कि उनकी पूरी ज़िंदगी रुक गई है (34%)।

 

लेकिन कई युवा सिंगल्स ऐसे हैं जो डेटिंग ऐप्स से जुड़कर कोरोना की उदासी को गले लगा रहे हैं और घरों में आराम से बैठकर केवल सोशलाइज़ होने की उम्मीद कर रहे हैं। इस फ्रेंडशिप डे पर टिंडर इंडिया बता रहा है जनरेशन ज़ेड का दृष्टिकोण क्या होता है जब वे आजकल नए कनेक्शन्स बनाने के लिए सोशल स्वाइपिंग करते हैं।

 

हाँ, रोमांस कूल है, लेकिन क्या आपने कभी किसी दोस्त पर राइट स्वाइप किया है?

टिंडर के हाल में किए गए अध्‍ययन में यह खुलासा हुआ है कि रोमांस की संभावना के बारे में चिंता किए बिना नए लोगों को ढूंढ़ने और सिर्फ जुड़े रहने के लिए 10 में से 9 जनरेशन ज़ेड भारतीय डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपमें से कुछ लोग कहेंगे “इसमें कोई आश्चर्य नहीं”, क्योंकि महामारी ने सोशलाइज़ करने और बाहर जाने के अवसर हमसे छीन लिए हैं।

 

रोमांटिक संबंध बनाने और लंबे समय के लिए पार्टनर ढूंढने के अलावा जनरेशन ज़ेड भारतीयों ने आजकल राइट स्वाइप करने के जिन शीर्ष 5 वजहों की जानकारी दी है उनमें शामिल है ‘नए कनेक्शन्स बनाना’, ‘उनकी कम्‍युनिटीज में दोस्त ढूंढ़ना’, ‘मस्ती से भरपूर हैंगआउट के लिए दोस्तों की तलाश’ यह सब दर्शाता है कि इस वर्ग के लिए नए लोगों से मिलना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना एक रोमांटिक पार्टनर ढूंढ़ना।

 

युवा सिंगल्स के दिमाग में है खाना, हंसी-मज़ाक और फिल्में

जहाँ तक हमें पता है “मेरी तरह के नमूने को ढूंढने के लिए”, यह कारण डेटिंग के लिए अनिवार्य रहा है। टिंडर द्वारा किए गए सर्वे में इस फ्रेंडशिप डे पर इस जुनून वाले प्रोफाइल्स का वाइब-चेक में पास होने की ज़्यादा संभावना है। जबकि 41% भारतीय सिंगल्स किसी ‘एक फूड लवर, ठीक मेरे जैसा’, के साथ मैच कराने के लिए तैयार हैं, करीब 36% ऐसे हैं जिन्हें ‘सेंस ऑफ ह्यूमर वाले व्यक्ति’ के साथ मैच कराने की उम्मीद है, और 32% ‘फिल्मों के शौकीनों’ से मिलने की उम्मीद रखते हैं।

 

जनरेशन ज़ेड भारतीयों को 2021 में वर्चुअल तरीके से ज़्यादा क्रिएटिव महसूस होता है लेकिन इसके साथ ही वे अपने कनेक्शन्स के साथ आईआरएल (इन रियल लाइफ) मोमेंट के लिए बकेट लिस्ट भी बना रहे हैं

लॉकडाउन की उदासी ने एक बात तय कर दी है: कि वर्चुअल डेटिंग और ऑनलाइन बनाए गए सार्थक कनेक्शन्स लंबे समय के लिए टिके रहने वाले हैं। एक साल से ज़्यादा समय से ऑनलाइन डेटिंग और बातचीत के साथ 47% भारतीय सिंगल्स का कहना है कि उन्हें 2020 की तुलना में ज़्यादा रचनात्मक (क्रिएटिव) महसूस होता है। दरअसल, टिंडर के ‘डेटिंग के भविष्य की रिपोर्ट’* के अनुसार सर्वे किए गए 10 में से 7 ज़नरेशन ज़ेड भारतीयों ने स्वीकार किया है कि ऑनलाइन कनेक्शन्स बनाना ज़्यादा आसान है (68%), जबकि इस बात पर भी सहमति जताई है कि ऑनलाइन नए लोगों से मिलना आजादी जैसा है (67%)*।

 

जबकि वर्चुअल डेट्स और कनेक्शन्स जीवन का एक हिस्सा हैं, वहीं सर्वे किए गए 5 भारतीय सिंगल्स में से 3 ऐसे हैं जो उनके आईआरएल मोमेंट को फिर से जीने की उम्मीद कर रहे हैं और अब उनके आदर्श आईआरएल डेटिंग बकेट लिस्ट में शामिल हैं बहुत ही साधारण लेकिन मायने रखने वाली गतिविधियाँ जैसे ‘पार्क में टहलना’ (37%), ‘मिलकर खाना पकाना’ (31%), और ‘आउटडोर वाली गतिविधियाँ’ (25%)।

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