कोरोना काल में छतों पर पतंगबाजी कर मनाया गया जमघट, खूब लड़े पेंच
लखनऊ(लाइवभारत24)। पतंगबाजी दुनियाभर में मशहूर है। कई देशों में अलग-अलग तरह के पतंगबाजी महोत्सव भी मनाये जाते हैं जोकि वहां के पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। भारत में भी मकर संक्रान्ति के अलावा दीपावली के अवसर पर पतंगबाजी की जाती है। वहीं, लखनऊ में दीपावली के दूसरे दिन जमघट पर पतंगबाजी का रिवाज है। इस मौके पर रंग-बिरंगी पतंगों को हवा में उड़ाना बच्चों और बड़ों के लिए खास मनोरंजन का साधन है। रविवार को शहर भर में लोगों ने जमघट के मौके पर अपनी-अपनी छतों पर पतंगबाजी कर त्योहार का आनन्द लिया। कोरोना के संकट को देखते हुए इस बार ज्यादातर लोगों ने खुले मैदानों के बजाय घर की छतों पर जमघट मनाया। पतंगबाजी भले ही कुछ लोगों के लिये शौक तो कुछ के लिये रिवाज है, मगर अब यह लोगों की जान के लिये खतरा भी बनता जा रहा है। लाइव भारत 24 से बातचीत में विज्ञान संचारक एवं पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी ने पतंगबाजी के खतरों से रूबरू कराया।
तेज नुकीली तलवार है चाइनीज मांझा
पतंग उड़ाने के लिए वर्षों से देसी सूती धागे का प्रयोग किया जाता रहा है लेकिन लगभग दस साल पहले चीन से आये हुए विशेष धागे के कारण पतंगबाजी अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है। इसका मुख्य कारण है चायनीज मांझा। चाइनीज मांझा प्लास्टिक या नायलॉन से बने होने के कारण देसी मांझे से ज्यादा मजबूत होता है। इस वजह से यह आसानी से टूटता नहीं बारिश के दौरान भी चाइनीज मांझे पर कोई असर नहीं होता। चाइनीज मांझा हवा के दबाव को कम कर पतंग को ऊंचाई पर ले जाता है। पतंग के मांझे को मजबूत, धारदार बनाने के लिए कांच के बारीक टुकड़ों के अलावा धातुओं के अति सूक्ष्म कणों का भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसे गोंद की मदद से धागे पर चिपकाया जाता है। इससे मांझे पर बारीक परत चढ़ जाती है और पतंगबाजी के दौरान यह चाइनीज मांझा तेज नुकीली तलवार की तरह कम करते हुए दूसरे प्रतियोगी की पतंग को काटता है। चूंकि देशी मांझे, अंडे की लुगदी से बने मांझे के मुकाबले चाइनीज मांझा बेहद सस्ता और मजबूत होता है। जिस कारण लोग देसी मांझे के स्थान पर इसका उपयोग करते हैं और बाजार में इसी तरह के मांझे की डिमांड भी ज्यादा रहती है।
खतरनाक बिजली के करंट का कारण
विज्ञान संचारक एवं पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी के अनुसार पहले लगभग सभी पतंग कागज से बनाए जाते थे, लेकिन अब अधिकांश पतंग प्लास्टिक के बनने लगे हैं जोकि पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। साथ ही चाइनीज मांझा नॉन बायोडिग्रेडेबल अजैविक सिंथेटिक धागे और कांच एवं लोहा के कणों की परत चढ़ाकर बनाया जाता है जो पतंग उड़ाने के दौरान बिजली के तारों में फंसकर शॉट कर देते हैं कई बार यह मांझा बिजली की तारों में उलझकर अनेकानेक पक्षियों, बंदरों एवं इंसानों को खतरनाक बिजली के करंट का कारण बनता है।
दर्दनाक हादसों का कारण
देसी मांझा कसता है तो वह टूट जाता है, लेकिन चायनीज मांझा के चपेट में जब जीव-जंतु आते हैं तब इसके कसने पर शरीर के उस अंग को काट देता है इसलिए नायलॉन से बना चीनी मांझा कई दर्दनाक हादसों का कारण बन रहा है फ्लाई ओवर या पुल से गुजरते समय मोटर साइकिल पर सवार लोग अक्सर दर्दनाक हादसों के शिकार हो जाते है जैसे जब यह मंझा गर्दन के संपर्क में आकर फंसता है तो तेज तलवार की भांति नाक या कान गर्दन से मस्तिष्क को जाने वाली खून की नली, आहारनाल की भोजन नली या सांस में प्रयुक्त श्वसननली को छतिग्रस्त कर इन्सान व अन्य जानवरों की मौत का कारण बनता है। इस मांझे का सबसे बड़ा शिकार गाय, बन्दर, गिद्ध, गौरैया, मोर हो जाते हैं जिन्हें बुरी तरह से घायल होने के साथ ही उनको अपनी जान भी गंवानी पड़ती है।
एनजीटी ने लगाया बैन
देश में चाइनीज मांझे को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने प्रतिबंधित कर रखा है। कानून के अनुसार इस तरह के मांझे से केवल पतंग उड़ाना ही गुनाह नहीं, इस मांझे को बेचना भी अपराध है। एन्वायरनमेंट प्रोटैक्शन एक्ट 1986 की धारा 5 के अंतर्गत इसके इस्तेमाल पर 5 साल की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। यह निजी फर्म, कंपनी, अथवा सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू होता है। पिछले कुछ सालों में चाइना की डोर में उलझकर कई जानें जा चुकी हैं इससे बचने के लिए आपको बेहद सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है।
कानून के अनुसार बिना परमिट नहीं उड़ा सकते पतंग
देश की बड़ी संख्या में लोगों को पता नहीं है, लेकिन भारतीय एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के अनुसार परमिट और लाइसेंस के बिना पतंग नहीं उड़ाई जा सकती। लोग भले ही पतंगों को हल्के में लेते हों, लेकिन एक्ट के तहत यह भी एक वायुयान माने जाते हैं। ऐसे में इन्हें भी उड़ाने के लिए परमिट लेना जरूरी है।
सुरक्षा के उपाय अपनाकर लें पतंगबाजी का मजा
सुशील द्विवेदी के अनुसार पतंगबाज सुरक्षित ढंग से पतंग उड़ाने के लिए कुछ सावधानियां जरूर अपनाएं, इन बातों का रखें ख्याल…
– बाजार से चाइना की डोर के बजाए सामान्य मांझा खरीदकर लाएं। यह बिल्कुल भी खतरनाक नहीं होता और ना ही इतना पक्का होता है कि किसी पशु-पक्षी को घायल करें।
– अगर घर में गलती से चाइना की डोर आ गई हो तो उसे बच्चों और अन्य लोगों से दूर रखें और चाइना डोर के नुकसान और खतरे से अवगत कराएं।
– पतंग उड़ाते समय भी विशेष रूप से सावधानी रखें। सामान्य धागे में भी कई बार कांच का मिश्रण लगा होता है। यह आपको घायल कर सकता है।
– अगर कई बच्चे मिलकर पतंग उड़ा रहे हैं, तो बड़े इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे किस प्रकार के मांझे का प्रयोग कर रहे हैं। वहां मौजूद रहकर बच्चों पर ध्यान रखें।
– पतंग के कहीं उलझने या टकराने पर उसे खींचने का प्रयास न करें। इससे संबंधित वस्तु को नुकसान पहुंच सकता है, साथ ही आपके हाथ में भी चोट लग सकती है।
– सुरक्षित स्थान पर खड़े रहकर पतंग उड़ाएं और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मंझा किसी को स्पर्श न कर सके। इससे आसपास के लोग भी सुरक्षित रहेंगे।
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