सोमनाथ । आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर की 83 करोड़ रुपए की चार परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं। इसके साथ ही वे मुख्य मंदिर के पास 30 करोड़ रुपए में बनने वाले पार्वतीजी मंदिर का भी शिलान्यास करेंगे। संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वानों द्वारा श्लोकाचार के साथ लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और लालकृष्ण आडवाणी वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े।

PM मोदी ने ‘जय सोमनाथ’ के घोष के साथ लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा, “मैं भले ही वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ा हूं, पर मन से खुद के भगवान सोमनाथ के चरणों में होने का अनुभव कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्य ही है कि इस पुण्य स्थल की सेवा करने का मुझे अवसर मिला है।”

इसके साथ ही उन्होंने सोमनाथ के बहाने आतंकियों पर निशाना साधते हुए कहा कि दहशतगर्दी के दम पर साम्राज्य खड़ा करने वाले मानवता को ज्यादा दिन दबाकर नहीं रख सकते। ये आज भी विश्व के सामने आह्वान कर रहा है कि सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता है। आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता है। सैकड़ों सालों के इतिहास में इस मंदिर को कितनी ही बार तोड़ा गया। मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की कोशिश की गई, लेकिन इसे जितनी बार गिराया गया, वह उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।
उन्होंने आगे कहा, “भगवान सोमनाथ मंदिर आज भारत ही नहीं, विश्व के लिए विश्वास और आश्वासन है। जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थाई नहीं होता है। वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकतीं। ये बात जितनी तब सही थी, जब कुछ आततायी सोमनाथ को गिरा रहे थे, उतनी ही सही आज भी है जब विश्व ऐसी विचारधाराओं से आशंकित है।”

PM ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण से लेकर भव्य विकास की यात्रा केवल कुछ सालों या दशकों का परिणाम नहीं है। ये सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता का परिणाम है। राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल जैसे लोगों ने आजादी के बाद भी इस अभियान के लिए कठिनाइयां सहीं। आज राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तंभ खड़ा हो रहा है। हमारी सोच होनी चाहिए कि इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की और नया भविष्य बनाने की।”

“जब मैं भारत जोड़ो आंदोलन की बात करता हूं तो उसका भाव केवल भौगोलिक और वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है, ये हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी मौका है। राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि सदियों पहले भारत सोने-चांदी का भंडार हुआ करता था। दुनिया के सोने का बड़ा हिस्सा तब भारत के मंदिरों में ही होता था। सोमनाथ का निर्माण तब पूरा होगा, जब इसकी नींव पर समृद्ध और संपन्न भारत का भव्य भवन तैयार हो चुका होगा। उसका प्रतीक सोमनाथ मंदिर होगा। हमारे प्रथम राष्ट्रपति का ये सपना हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। साथियों हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूलभाव है सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास।”

“अब हम सबका दायित्व है कि इसे निरंतर मजबूत करें। आज दुनिया भारत के योग, दर्शन, अध्यात्म और संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। नई पीढ़ी में भी अपनी जड़ों से जुड़ने की जागरूकता आई है। हमारे टूरिज्म और अध्यात्मिक टूरिज्म में संभावनाएं हैं। देश आज आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। रामायण सर्किट का उदाहरण हमारे सामने है। देश-दुनिया के कितने ही राम भक्तों को इस सर्किट के जरिए भगवान राम के जीवन से जुड़े नए स्थानों की जानकारी मिल रही है। राम कैसे पूरे भारत के राम है, इन स्थानों पर जाकर हमें ये अनुभव करने का मौका मिल रहा है। बुद्ध सर्किट पूरे विश्व के बौद्ध अनुयाइयों को भारत में आने और पर्यटन की सुविधा दे रहा है।”

“हमारा पर्यटन मंत्रालय स्वेदश दर्शन स्कीम के तहत 15 अलग-अलग थीम पर टूरिस्ट सर्किट विकसित कर रहा है। इनसे देश के कई उपेक्षित इलाकों में भी पर्यटन और विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि इतनी थी कि उन्होंने दूर-सुदूर क्षेत्रों को भी हमारी आस्था से जोड़ने का काम किया। अपनेपन का बोध कराया। दुर्भाग्य से जब हम सक्षम हुए, आधुनिक तकनीक औऱ संसाधन आए तो हमने इन इलाकों को दुर्गम समझकर छोड़ दिया। हमारे पर्वतीय इलाके इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। आज देश इन पवित्र तीर्थों की दूरियों को कम कर रहा है।”
2014 में देश ने इसी तरह तीर्थ स्थानों के विकास के लिए प्रसाद स्कीम की घोषणा की थी। इस योजना के तहत देश में करीब 40 तीर्थ स्थानों को विकसित किया जा रहा है। जिनमें 15 प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया गया है। गुजरात में भी 100 करोड़ से ज्यादा के 3 प्रोजेक्ट पर इस योजना के तहत काम चल रहा है। गुजरात में सोमनाथ और दूसरे टूरिस्ट स्पॉट और शहरों को भी आपस में जोड़ने के लिए ध्यान दिया जा रहा है। कोशिश है कि पर्यटक एक जगह दर्शन के लिए आएं तो दूसरे स्थलों पर भी जाएं। देशभर में 19 आइकॉनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन की पहचान कर उन्हें डेवलप किया जा रहा है। ये टूरिज्म इंडस्ट्री को ऊर्जा देंगे। पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है। 2013 में देश जहां टूरिज्म में 65वें स्थान पर 2019 में 34वें स्थान पर आ गया।

सोमनाथ मंदिर के किनारे अरब सागर पर 45 करोड़ रुपए की लागत से सवा किमी लंबा वॉक-वे बनाया गया है। यह मुंबई के मरीन ड्राइव की तर्ज पर तैयार किया गया है। इससे मंदिर आने वाले श्रद्धालु समुद्र का भी खूबसूरत नजारा देख सकेंगे। वॉक वे भी मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह सागर के किनारे घुमावदार है।
पिछले कई वर्षों में सोमनाथ मंदिर के चारों ओर नए मंदिरों का निर्माण किया गया है। इसमें भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण किया गया है, गोलोकधाम बनाने की तैयारी चल रही है और अब 30 करोड़ रुपए की लागत से सोमनाथ मंदिर परिसर में भव्य शक्ति पीठ पार्वतीजी मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वतीजी का मंदिर यज्ञ मंडप के पास स्थित था। इसी के चलते मंदिर का निर्माण उसी जगह करवाया जा रहा है।
यह एग्जिबिशन केंद्र सोमनाथ परिसर में तैयार किया गया है। यहां सोमनाथ मंदिर के प्राचीन खंडित अवशेष रखे गए हैं। इसके अलावा यहां सोमनाथ मंदिर की ऐतिहासिक घटनाओं को दर्शाने वाले साहित्य भी प्रदर्शनी के लिए रखे गए हैं। यह संग्रहालय आदि ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के गौरवशाली अतीत से श्रद्धालुओं को परिचित करवाएगा।

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