Prasoon Sikdar (MD & CEO) Manipal Signa Health Insurance

लखनऊ (लाइवभारत24)। डिजिटल क्रांति ने दुनियाभर के उद्योगों के परिदृश्य को बदल दिया है, वहीं हाल में कोरोना के प्रकोप से पहले तक लोगों का बीमा खरीदने का रंग-ढंग, वैसा ही था, जो दशकों से चला आ रहा था। महामारी के प्रकोप के बाद से, अपने भविष्य और जीवन के लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए हर चीज की तरह लोग हेल्थ इंश्योरंेस और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों को भी ऑनलाइन खंगाल रहे हैं। इस प्रकार बीमा के क्षेत्र में डिजिटल दखल तेज हुआ है जो कि आमतौर पर रिटेल या बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में देखा जाता रहा है। प्रसून सिकदर (एमडी और सीईओ) मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के अनुसार, महामारी की उथल-पुथल ने लोगों का बीमा के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया है। इसने लोगों को बीमा के महत्व और बीमा न होने के परिणामों का अहसास करवाया है। इसी के साथ इसने बीमाकर्ताओं को भी तकनीकी रूप से उन्नत होने के महत्व का एहसास कराया है। अधिक से अधिक स्मार्टफोन और कंप्यूटर जानकारी चाहने वाले खरीदारों के हाथों को ताकत दे रहे हैं, साथ ही ऐसे टूल्स तक पहंुच देने में जुटे हैं जो ग्राहकों के लिए विभिन्न चैनलों के जरिए बीमा उत्पादों का विश्लेषण और खरीद मे आसानी लाएं। मूल्य पारदर्शिता और आसान पहुंच का भी ऑनलाइन व्यवसायीकरण हो रहा है, ऐसे उत्पादों के लिए भी जिन्हें बहुत जटिल उत्पाद माना जाता था और सोच थी कि इन्हें आमने-सामने जाकर बीमा एजेंटों के माध्यम से ही बेचा जा सकता है। इसके साथ ही, एआई, बिग डेटा और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकी में होता विकास स्थापित बीमा कंपनियों और बीमाकर्ताओं को बीमा खरीदने के नए तरीके विकसित करने में मदद कर रहा है, जिसके कारण पॉलिसी बेचने के लिए बीमा कंपनियों की मांगों के बजाय उपभोक्ता की जरूरतों को आधार बनाया जा रहा है। कंपनियां ग्राहकों की बेहतर सहायता के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर रही हैं। शुरुआत के तौर पर अधिक बीमा कंपनियां सॉफ्टवेयर-ए-इन-सर्विस एप्लिकेशन में पूंजीकरण करके जटिल कोर आईटी सिस्टम विकसित कर रही हैं, जिसका उपयोग वे संचालन, वितरण, एचआर एडमिन और कमीशन प्रोसेसिंग आदि के लिए करते हैं। ये टूल्स कुछ पारंपरिक, भौतिक कार्यों के स्वचालन के साथ बीमा क्षेत्र के काम करने के तरीके को गहराई से बदल डालेंगे। बीमा कंपनियों को अपने पारंपरिक बैक-ऑफिस ऑपरेशन के बड़े हिस्से को ऑटोनमस करने की आवश्यकता है। डिजिटल एप्लिकेशन और उन्नत-एनालिटिक्स इंजन जैसी तकनीकें, काम करने के तरीकों में और बदलाव ला रही हैं। बीमा कवरेज की रूपरेखा के अनुसार, इन तकनीकों को प्रारंभिक सूचना एकत्र करने और दस्तावेज की समीक्षा को व्यवस्थित करने से लेकर अंडरटेकिंग, अंडरराइटिंग, सर्विसिंग और दावों की प्रक्रियाओं के दौरान खुद की मदद करने के लिए काम लिया जा सकता है।

आगे, अपने संचालन की व्यवस्था बनाने के लिए बीमा कंपनियों को अंतःविषयी टीमों का गठन करके, प्रौद्योगिकी और ऑपरेशंस ग्रुप को कड़ाई से आत्मसात करके और उपभोक्ता के मिजाज को समझने वाले टूल्स जुटा कर स्वयं को फिर से डिजाइन करना होगा। इसके अलावा, बीमा कंपनियों को बाहरी सेवा प्रदाताओं के साथ काम करने के लिए कौशल का निर्माण भी करना चाहिए, संचालन में तकनीक का उपयोग करने के लिए टेलेंट को तैयार करना चाहिए और अपनी संगठनात्मक संस्कृतियों को सुनिश्चित रखते हुए प्रयोग करने चाहिए। काम करने के तरीकों को बदलना एक बहुत बड़ा प्रयास है, जो बहुत मेहनत मांगता है। पर यह बदलाव लंबे समय में लाभ का सौदा साबित होगा।

इसके अलावा एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और एमएल (मशीन लर्निंग) में उन्नति धीरे-धीरे जटिल कार्यों को करने की अनुमति दे रही है, जिसमें ग्राहक की सभी जिज्ञासाओं को संबोधित करना शामिल है। एआई और एमएल को धोखाधड़ी की पहचान करने के अलावा अलावा छोटे दावों के लिए स्वचालित पेआउट, डिजिटल स्व-सेवा क्षति आकलन प्रदान करने आदि में इस्तेमाल किया जा रहा है;

अधिक स्थापित और प्रौद्योगिकी में माहिर बीमा कंपनियों के लिए, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) दावों और मूल्य निर्धारण में मैनुअल हस्तक्षेप को कम करने में मदद कर सकती है। आइओटी के अतिरिक्त एप्लिकेशन सड़कों पर, काम पर, घरों और व्यवसायों में सूचित डेटा का उपयोग कर, बीमाकर्ताओं को जोखिमपूर्ण गणनाओं को प्राप्त करने की अनुमति देकर बीमा हानि को रोकने में मदद कर सकती है।

आज, बीमाकर्ताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि वे उपभोक्ताओं के साथ कैसे जुड़ते हैं और कैसे वे बीमा उत्पादों और सेवाओं को बेहतर ढंग से बेचने के लिए सूचनाओं और सेवाओं के एक इकोसिस्टम को तैयार, पेश और इंटीग्रेट करते हैं। आज के उपभोक्ताओं को संतुष्टि देने के लिए, उन्हें ऐसे सरल उत्पाद पेश करने होंगे जो खरीदने में आसान हो। इसके लिए व्यावसायिक प्रक्रियाओं को बदलना होगा।

भीतर से लेकर बाहर तक, प्रौद्योगिकी बीमा कंपनियों को बदल रही है। हालांकि आगामी वर्षों में यह चलन अपने तौर पर जारी रहेगा, पर बीमा कंपनियों को भी टेक्नोलॉजी टूल्स को भुनाने के लिए खुद को तैयार करने की आवश्यकता रहेगी। यह उन्हें महामारी जैसी गंभीर स्थितियों में भी उपभोक्ता को श्रेष्ठ अनुभव देते हुए अधिक कुशल रूप से काम करने में प्रवीण बनाएगा।

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