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ग्रामीण भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में ग्रामीण सहकारी बैंकों की महती भूमिका : नाबार्ड अध्यक्ष

लखनऊ (लाइवभारत24)। भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ एवं वोकल फॉर लोकल के सपने को साकार करने में ग्रामीण सहकारी बैंकों की महती भूमिका है; ये बातें नाबार्ड के अध्यक्ष श्री जी आर चिंतला ने बैंकर ग्रामीण विकास संस्थान (बर्ड) में 7-8 जनवरी 2021 को सम्पन्न हुए सहकारी बैंकों के राष्ट्र स्तरीय दो दिवसीय कोंक्लेव के उदघाटन सम्बोधन में कहीं।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ग्रामीण सहकारी बैंकों को प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाने हेतु आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा करने के उद्देश्य से किया गया। अध्यक्ष, नाबार्ड ने बैंकों को सलाह दी कि वे प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के कारोबार पोर्टफोलियो में विविधता लाएँ और नाबार्ड की विभिन्न विकासात्मक पहलों से लाभ उठाएँ। इन पहलों में PACS को बहुसेवा केन्द्रों के रूप में रूपांतरित करना, सहकारी संस्थाओं को विशेष पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करना, देश में सहकारी संरचना को मजबूत करने हेतु संवर्धनात्मक उपाय करना आदि शामिल हैं।
देश में सहकारी बैंकिंग संरचना के समग्र विकास हेतु नाबार्ड से नीतिगत, तकनीकी एवं वित्तीय सहायता का आश्वासन देते हुए श्री चिंतला ने कहा कि वित्तीय और गैर वित्तीय सेवाएँ दोनों प्रदान करके सहकारी बैंक ग्रामीण ऋण क्षेत्र में अपने खोये हुए स्थान को पुनः प्राप्त कर सकते है। सहकारी संस्थाएं पूरे देश में मौजूद हैं और ग्रामीण ग्राहकों की आवश्यकताएँ समझते हैं। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को सुझाव दिया कि वे बैंकिंग क्षेत्र की अन्य वित्तीय संस्थाओं की भांति प्रौद्योगिकी को अपनाएं और विभिन्न उत्पादों और सेवाओं को प्रदान करने हेतु महत्वपूर्ण संस्थाओं के रूप में उभरें। सहकारी बैंकों को उन्होंने यह भी परामर्श दिया कि वे दीर्घकालिक ऋण वितरण पर ध्यान केन्द्रित करें। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों की सहायता हेतु नाबार्ड की वित्तीय सहायता पर ब्याज दरें अत्यंत आकर्षक बनाई गई हैं।
श्री शाजी के वी, उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड ने कहा कि 95000 PACS सहकारी बैंकों के साथ सहबद्ध हैं जो वित्तीय प्रौद्योगिकी को अपनाकर अपने कारोबार को विस्तार एवं ग्राहकों की सेवा बेहतर ढंग से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां अद्वितीय संस्थाएं हैं जो किसानों को ऋण सुविधाओं के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करा सकती है। सहकारी संस्थाओं को अपनी इस अद्वितीय महत्व की पहचान करनी चाहिए एवं ग्राहक की आवश्यकतानुसार अपने उत्पादों में विविधता लानी चाहिए।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए, श्री शंकर ए पांडे, निदेशक, बर्ड ने सहकारी बैंकों में मानव संसाधनों के क्षमता निर्माण पर बल दिया। उन्होंने विशेषकर आजकल के बैंकिंग क्षेत्र के लिए अपेक्षित आधुनिक निपुणताओं के विकास पर बल देते हुए कहा कि इस संगोष्ठी से देश में ग्रामीण ऋण वितरण संरचना में सुधार की प्रक्रिया आरंभ होगी।
के एल मीणा, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, कृषि विभाग, सहकारी एवं पशुपालन, राजस्थान शासन ने कहा कि अब सहकारी क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और निपुणता को अपनाने का वक्त है ताकि वे किसानों की सेवा बेहतर ढंग से कर सकें। उन्होंने PACS के कम्प्यूटरीकरण हेतु नाबार्ड द्वारा प्रदान की जा रही सहायता की सराहना की। श्री के आर राव अध्यक्ष, NAFSCOB ने सहकारी ऋण संरचना को मजबूत करने हेतु नाबार्ड द्वारा की जा रही पहलों की सराहना करते हुए सहकारी बैंकों के अभिशासन और विनियमन में हाल ही में किए गए संशोधनों का स्वागत किया।
देश में ग्रामीण सहकारी बैंकों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा के अलावा, इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में ग्रामीण सहकारी ऋण संरचना क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के लिए अपेक्षित रणनीतियों, दृष्टिकोणों और भावी मार्ग पर चर्चा की गई। इसके साथ-साथ, कारोबार विस्तार और विविधिकरण, PACS के जरिये बाजार में पहलें एवं उन्हें बहुसेवा केन्द्रों के रूप में रूपांतरित करके उनकी सेवाओं को और प्रभावी और विस्तृत बनाना, PACS के कम्प्यूटरीकरण और सहकारी बैंकों के CBS प्लेटफॉर्म से उन्हें जोड़ना, साइबर सुरक्षा अंबरेला का सृजन आदि पर भी गहन विचार-विमर्श किया।

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