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होम आइसोलेशन या होम क्वारंटाइन के दौरान मरीज बरतें विशेष सावधानी

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का 15 वर्ष से ऊपर की आयु वाले करें प्रयोग

  • – शरीर का कोई अंग सुन्न पड़े तो हो सकता है खतरा
  • – यूट्यूब पर लाइव प्रोग्राम के जरिए किया कोरोना के प्रति जागरूक
  • – होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्ति को आरोग्य सेतु, चिकित्सा सेतु ऐप रखना अनिवार्य

लखनऊ(लाइव भारत24)। होम आइसोलेशन या होम क्वारंटाइन के दौरान मरीज और तीमारदार को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना के मरीज की देखरेख करने वाले को बचाव के रूप में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेनी चाहिए। मगर इस बात का ध्यान रखें कि यह दवा डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए। यह जानकारी केजीएमयू के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के विभागाध्यक्ष व प्रो. विनोद जैन ने दी। रविवार को कोरोना संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम के उददेश्य से यूट्यूब पर सजीव प्रसारण के जरिए ‘सेफ एंड हैप्पी होम क्वारंटाइन-होम आइसोलेशन’ कार्यक्रम के तहत वह आमजन को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक कर रहे थे। लगभग 36 मिनट तक चले इस प्रसारण को करीब एक हजार से ज्यादा लोगों ने देखा। इस लाइव प्रोग्राम के जरिए डॉ. विनोद जैन ने होम क्वारंटाइन व होम आइसोलेशन के बारे में जानकारी दी।

क्या है होम क्वारंटाइन :

डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम क्वारंटाइन उन व्यक्तियों को किया जाता है जो बीमार नहीं होते हैं लेकिन कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों। ऐसे व्यक्तियों को अलग करने की प्रक्रिया को ही होम क्वारंटाइन कहते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे व्यक्ति जो कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव हैं लेकिन या तो वह लक्षण विहीन या बहुत मामूली लक्षण पाए जाते हैं, उनको घर पर रहने की सुविधा या होम क्वारंटाइन की सुविधा दी जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रोगी द्वारा अन्य लोगों में यह संक्रमण न फैले चाहे वह परिवार का हो या समाज का। साथ ही उन्होंने बताया कि जिसको होम आइसोलेशन में रखा गया है उसके स्वास्थ्य की पूरी निगरानी की जाए ताकि उसके जीवन को कोई क्षति न पहुंचे।

14 दिनों का होता है कोविड-19 का संक्रमण काल :

डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम क्वारंटाइन या होम आइसोलेशन का समय विभिन्न दिशा-निर्देशों के द्वारा बदलता रहता है लेकिन सामान्यता यह 14 दिनों का होता है क्योंकि कोविड-19 का संक्रमणकाल 14 दिनों का होता है। जब यह वायरस उत्पन्न होता है और इसके लक्षण सामने आते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि किस-किस में होम क्वारंटाइन किया जाना चाहिए। जो व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया हो, किसी संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, बलगम या उल्टी को पीपीई किट के बगैर छूने वाले व्यक्ति को होम क्वारंटाइन की सलाह दी जाती है।

 हर 6 से 8 घन्टे में बदले मास्क:

डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम क्वारंटाइन के समय सिंगल कमरे में रहते हैं। अलग बाथरूम व तौलिए का प्रयोग करना चाहिए तथा ट्रिपल लेयर मास्क का प्रयोग करते हुए किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में नहीं आना चाहिए। होम क्वारंटाइन में रहने वाले व्यक्ति को हर 6-8 घंटे में मास्क बदलना है। इस्तेमाल किए गए मास्क को आधे घंटे ब्लीचिंग पाउडर में रखने बाद उसका सही निस्तारण करना चाहिए। उसे या तो जला दें या फिर जमीन में दबा दें।

लगातार पीते रहें गर्म पेय पदार्थ :

डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम क्वारंटाइन या होम आइसोलेशन की अविधि में लगातार गर्म पानी या अन्य पेय पदार्थ पीते रहना चाहिए तथा स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रकार की शिकायत पर तत्काल हेल्थ सेंटर पर संपर्क करना चाहिए।

 कोरोना रोगी की घर का एक ही व्यक्ति करे देखभाल :

उन्होंने बताया कि बीमार व्यक्ति जिसका उपचार चल रहा हो जैसे कैंसर के मरीज जिसकी कीमो थेरेपी चल रही हो, डायबिटीज के रोगी, उच्च रक्तचाप के रोगी तथा हृदय संबंधी रोगी के संपर्क में न आएं, वृद्ध व बच्चों से दूरी बनाकर रखें। खाने-पीने व अन्य देखरेख घर का एक ही व्यक्ति करें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि होम क्वारंटाइन, होम आइसोलेशन व्यक्ति को अपने कपड़े व कमरे की साफ-सफाई स्वयं ही करनीचाहिए।

गंभीर मरीज नहीं हो सकते होम आइसोलेशन के पात्र :

डॉ. विनोद जैन ने होम आइसोलेशन का पात्र कौन व्यक्ति नहीं होता है, इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कैंसर के मरीज, एचआइवी पॉजिटिव मरीज व अंग प्रत्यारोपित करा चुके व्यक्ति, डायबिटिज के मरीज, गुर्दे, लीवर, फेफड़े की बीमारी से संबंधित व्यक्ति चिकित्सालय में ही रहेंगे तथा वह होम आइसोलेशन के पात्र नहीं होंगे। होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्ति को आरोग्य सेतु, चिकित्सा सेतु ऐप रखना अनिवार्य होता है।
डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्ति की देखरेख करने वाले व्यक्ति के लिए भी भारत सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत रोगी की देखरेख करने वाले व्यक्ति को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बचाव के रूप में लेनी है जिसके बारे चिकित्सक अधिकारी द्वारा बताया जाता है।
उन्होंने बताया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का प्रयोग 15 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों को करना चाहिए तथा सामान्यता यह पहले दिन 400 मिली ग्राम दिन में दो बार दी जाती है और उसके बाद सप्ताह में एक बार तीन सप्ताह तक अथवा सात सप्ताह तक चिकित्सकों द्वारा परामर्श करने के बाद दी जाती है। इसके साथ ही चिकित्सा अधिकारी यह भी देखेगा कि इसके उपयोग करने वाले व्यक्ति को दिल से संबंधित बीमारी तो नहीं है क्योंकि यदि किसी व्यक्ति को हृदय से संबंधित बीमारी हो और उसकी आयु 40 वर्ष से अधिक हो तो कुछ जांच के बाद ही चिकित्सा अधिकारी की सलाह पर ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग करना चाहिए, स्वयं से यह दवा नहीं लेनी चाहिए।
डॉ. विनोद जैन ने बताया कि होम क्वारंटाइन या होम आइसोलेशन के दौरान यदि सांस लेने में दिक्कत आ रही है या शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है, छाती में दर्द हो रहा हो, आवाज लड़खड़ाने लगे, शरीर का कोई अंग सुन्न पड़े तो तत्काल चिकित्सालय में संपर्क करना चाहिए और भर्ती होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन के दौरान कोई भी लक्षण सामने नहीं आ रहे हों तो चिकित्सीय परामर्श से दस दिन में समाप्त किया जा सकता है। हालांकि, इसके बाद सात दिन तक विशेष सर्तकता बरतनी चाहिए। कार्यक्रम के सफल संचालन में केजीएमयू पैरामेडिकल साइंसेस के राघवेन्द्र शर्मा और शालिनी गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।

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