• दायकुंदी प्रांत के खदीर जिले में तालिबान ने हजारा समुदाय के 14 लोगों की हत्या

(लाइव भारत 24) काबुल। पंजशीर में तालिबान ने हमला बोल दिया है। पंजशीर में अहमद मसूद से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि तालिबान ने कई तरफ से हमला बोला है। पंजशीर के लड़ाके भी उनका जवाब दे रहे हैं। वहीं, इससे पहले तालिबानी सूत्रों ने कहा था कि पंजशीर में कई गुट तालिबान के समर्थन में आ रहे हैं। पंजशीर पर हमले की पुष्टि कई सूत्र कर रहे हैं। उधर, दायकुंदी प्रांत के खदीर जिले में तालिबान ने हजारा समुदाय के 14 लोगों की हत्या कर दी है।

तालिबान का हजारा समुदाय पर जुल्म, कंप्यूटर लैब में तोड़फोड़ और लूटपाट
हजारा समुदाय से जुड़े कार्यकर्ताओं का दावा है कि हजारा बहुल जिले दायकुंदी में तालिबान ने नजीबा लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब में तोड़फोड़ और लूटपाट की है। हजारा पत्रकार बशीर अहंग के मुताबिक इस लाइब्रेरी में स्थानीय हजारा लड़कियां और लड़के पढ़ाई करते थे। अफगानिस्तान के अखबार इतलेआत रोज ने दावा किया है कि दायकुंदी प्रांत के खदीर जिले में तालिबान ने कुल 14 लोगों को मारा है, जिनमें 2 आम नागरिक हैं। वहीं हजारा मामलों पर नजर रखने वाले एक कार्यकर्ता का कहना है कि हम स्वतंत्र तौर पर पीड़ितों से बात नहीं कर सके हैं लेकिन स्थानीय मीडिया ने 14 लोगों के मारे जाने की खबर प्रकाशित की है।

हजारा लड़ाके भी दायकुंदी में भिड़े
हजारा समुदाय के कार्यकर्ता ये आरोप लगाते रहे हैं कि दूरस्थ इलाकों में तालिबान जुल्म कर रहा है और असली तस्वीर सामने नहीं आ पा रही हैं। दायकुंदी से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक हजारा लड़ाकों और तालिबान के बीच लड़ाई भी हुई है। तालिबान ने दर्जन भर हजारा लड़ाकों की हत्या की है। तालिबान स्थानीय जासूसी नेटवर्क की मदद से हजारा लड़ाकों की पहचान कर रहे हैं।

तालिबान ने काबुल में लोगों से छीने हथियार, घरों से मिलीं ढेरों बंदूकें
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान के पास हथियारों का जखीरा जमा हो गया है। अमेरिका ने अफगानिस्तान के सैनिकों को अब तक जितने भी हथियार, गोला-बारूद, लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और अन्य सैन्य साजो-सामान दिए थे, वे अब पूरी तरह से तालिबान के कब्जे में हैं। तालिबान ने आम लोगों से भी भारी संख्या में हथियार इकट्ठा किए हैं।

दरअसल, कुछ दिन पहले तालिबान ने एक निर्देश जारी किया था। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट कर कहा था कि ‘काबुल शहर में जिनके पास सरकारी वाहन, हथियार, गोला-बारूद और अन्य सरकारी सामान हैं, उन्हें स्वेच्छा से एक सप्ताह के भीतर संबंधित इस्लामिक अमीरात के अधिकारियों को सौंपना है। उन्होंने इस आदेश का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी के पास इनमें से कोई सामान पाया जाता है तो उनपर मुकदमा चलाया जाएगा। इसके बाद हजारों लोगों ने भारी संख्या में अपने हथियार जमा किए हैं। तालिबान लड़ाके भी घर-घर जाकर हथियारों की सर्चिंग कर उसे अपने कब्जे में ले रहे हैं।

फिट किए गए थे कार की डिक्की में 6 रॉकेट लॉन्चर
टोलो न्यूज के मुताबिक, काबुल के खैर खाना इलाके से सोमवार सुबह एक कार से 6 रॉकेट दागे थे। इसमें से पांच काबुल एयरपोर्ट की ओर छोड़े गए थे, जिसे अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने रोक लिया। हालांकि, हमलों के बाद भी काबुल एयरपोर्ट पर विमानों का आवागमन पहले की तरह ही जारी रहा।

कार की डिक्की से IS आतंकियों ने दागे 6 रॉकेट
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी से ठीक एक दिन पहले इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने 6 रॉकेट दागे हैं। इनमें से 5 रॉकेट काबुल एयरपोर्ट को टारगेट कर छोड़े गए। इसे अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, छठा रॉकेट एक रिहायशी इमारत से टकरा कर गिर गया। इन हमलों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। देर शाम इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली है। संगठन ने अपने नशर न्यूज के जरिए टेलिग्राम चैनल पर इसकी पुष्टि की है। इससे पहले 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हुए फिदायीन हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS- खुरासान ग्रुप ने ली थी। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोग मारे गए थे।

एयरपोर्ट पर हमले के वक्त मौजूद थे 45 हजार लोग 
अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिकी सैनिकों और काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद करीब 45 हजार लोगों की भीड़ को टारगेट कर ये रॉकेट हमले किए गए थे। अगर यह निष्क्रिय नहीं किया जाता तो बड़ी तादाद में लोगों की जान जा सकती थी।

तालिबान रखना चाहता है भारत के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंध 
भारत के साथ तालिबान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के व्यापारिक और राजनीतिक संबंध जारी रखना चाहता है। तालिबान के बड़े नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनेकजई ने कहा कि भारत इस क्षेत्र का अहम देश है। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ व्यापार, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत अहमियत देते हैं।

 

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