22 जनवरी को सरकार और किसान नेताओं के बीच 12वीं बैठक हुई थी। इसमें सरकार ने कहा था कि नए कानूनों में कोई कमी नहीं है। आप (किसान नेता) अगर किसी फैसले पर पहुंचते हैं तो बताएं। इस पर फिर हम चर्चा करेंगे। इससे पहले 20 जनवरी को हुई मीटिंग में केंद्र ने डेढ़ साल तक नए कृषि कानूनों को लागू नहीं करने और MSP पर बातचीत के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा था।

सूत्रों के मुताबिक, PM ने कहा कि मैं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से किसानों से कही गई बातों को दोहराना चाहता हूं। उन्होंने कहा था कि हम सहमति (नए कृषि कानूनों पर) तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हम आपको प्रस्ताव दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह उनके लिए फोन पर भी मौजूद रहेंगे। सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों के मु़द्दे सुलझाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है।

वैसे, सर्वदलीय बैठक बजट सत्र शुरू होने से पहले बुलाई जाती है, लेकिन इस बार सेशन शुरू होने के बाद रखी गई है। बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार को हो गई थी।
बैठक में विपक्षी दल किसान आंदोलन के मुद्दे पर संसद में बहस की मांग कर सकते हैं। इससे पहले शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष ने यही मांग उठाई थी। हालांकि, सरकार ने कहा कि यह मुद्दा लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव (मोशन ऑफ थैंक्स) पर बहस के दौरान उठाया जा सकता है, जिसके लिए 2, 3 और 4 फरवरी को 10 घंटे का समय रखा गया है।
संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बजट अभिभाषण हुआ। उन्होंने 26 जनवरी को लाल किले पर हुए तिरंगे के अपमान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभी को अभिव्यक्ति की आजादी देता है, अभिव्यक्ति का सम्मान करता है तो वही संविधान सभी को कानून का पालन करने के लिए भी कहता है।
बजट सत्र से पहले संसद परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से कहा कि भारत के उज्जवल भविष्य के लिए यह दशक बहुत ही महत्वपूर्ण है। आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे उन्हें तेज गति से पूरा करने का यह स्वर्णिम अवसर आया है। इस दशक का भरपूर उपयोग हो, इसको ध्यान में रखते हुए चर्चा हो। सभी प्रकार के विचारों का मंथन हो।

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