22.1 C
New York
Saturday, 7th \ June 2025, 10:29:24 PM

Buy now

spot_img

क्यों संकट में है प्राकतिक चिकित्सा?: डा. शिखा

लखनऊ(लाइवभारत24)। आयुष विभाग और भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धतियों में प्राकृतिक चिकित्सा अत्यंत पीछे होने का कारण है कि बहुत सारे विश्व विध्यालय -सरकारी और निजी,बहुत सारी प्राचीन संस्थाएं –सरकारी और निजी, प्राकृतिक चिकित्सा और योग से जुडी या नही जुडी, इस कोर्स का संचालन अनेकों वर्षों से कर रही है । यह कहना अनुचित न होगा कि उन्होने योग के प्रति तो फिर भी इमानदारी बरती या यूँ कहें कि योग अन्तर्राष्ट्रीय होने से उसका व्यवहारिक ज्ञान लेने मे सभी सक्षम,  हो गये किंतु प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ किताबों मे,डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट पर नजर आई। जो भी संगठन वर्षों से ऐसा कर रहे है वह अपने डिप्लोमा और डिग्री के साथ न्याय करे,कोर्से के साथ न्याय करे,क्योकि प्राकृतिक चिकित्सा जब तक अपने उपर अनुभव नही की जायेगी तब तक आएगी नही,और यही कारण है कोई प्राकृतिक चिकित्सा न बतला पता है न समझा पाता है न ही सलाह दे पता है और चूरन बना कर चाट लेने को प्राकृतिक चिकित्सा कहते है ,और यही प्रचारित हो रहा।

डा. शिखा गुप्ता

20 वर्षो के व्यवहारिक अनुभव के साथ मे प्राकृतिक चिकित्सा के प्रेमियों,डिप्लोमा और डिग्री धारको को यह बताना चाहूंगी कि प्राकृतिक चिकित्सा के  व्यवहारिक ज्ञान के लिये 13 (2 weeks) दिन का समय हमारे लखनऊ के प्राकृतिक चिकित्सालय मे या online द्वारा कर सकते है ।

Related Articles

1 कमेंट

कोई जवाब दें

कृपया अपनी कमेंट दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Stay Connected

0फॉलोवरफॉलो करें
0सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

error: Content is protected !!