लेटरल इन्ट्री द्वारा यूपीएससी व कोलेजियम द्वारा उच्च न्यायपालिका के महत्व को खत्म कर रही केन्द्र सरकार
लखनऊ(लाइवभारत24)। समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग ्रप्रकोष्ठ उ0प्र0 के अध्यक्ष चै0 लौटन राम निषाद ने केन्द्र सरकार पर यूपीएससी को खत्म करने व कोलेजियम सिस्टम द्वारा उच्च न्यायपालिका के महत्व को खत्म करने का आरोप लगाया । उन्होंने कहा कि आरएसएस के इशारे पर केन्द्र की मोदी सरकार बिना संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण किये निजी क्षेत्र से लेटरल इन्ट्री द्वारा केन्द्रीय मन्त्रालयों में संयुक्त सचिव बना रही है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को ही केन्द्रीय मन्त्रालयों व विभागों में संयुक्त सचिव वरिष्ठता के आधार पर बनाया जाता था लेकिन मोदी सरकार निजी क्षेत्र से बिना यूपीएससी परीक्षा पास किये लोगों को संयुक्त सचिव बनाकर यूपीएससी को खत्म करने में जुटी हुई है।
निषाद ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-15 व 16 के अनुसार आरक्षण मौलिक च संवैधानिक अधिकार है। उच्च न्यायपालिका द्वारा यह कहना कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, असंवैधानिक व जातिवाद से प्रेरित कथन है । निषाद ने कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है तो क्या कोलेजियम सिस्टम द्वारा न्यायाधीशों का मनोनयन व ईडब्लूएस आरक्षण मौलिक अधिकार है ? उन्होंने कहा कि विगत कुछ महीनों से उच्च न्यायपालिका के सामाजिक न्याय व आरक्षण सम्बन्धी जो निर्णय आ रहे हैं, उससे स्पष्ट हो रहा है कि अब न्यायपालिका में निष्पक्षता नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव में निर्णय किये जा रहे हैं।
निषाद ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सेन्सस कमिश्नर व आरजीआई से सम्बन्धित अधिकारियों की बैठक में दावे के साथ कहे थे कि सेन्सस-2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराकर 2024 में घोषित कर दी जायेगी। परन्तु अब भाजपा सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि जब केन्द्र सरकार एससी/एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक, ट्रान्सजेण्डर व दिव्यांग आदि की जनगणना कराती है तो ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने से क्यों पीछा छुड़ा रही है ? ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने से कौन सी राष्ट्रीय क्षति हो रही है ?