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बंदिशों को तोड़कर आगे बढ़ रही नारी
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स्वयं सहायता समूह से रोजगार की राह पर महिलाएं
लखनऊ (लाइवभारत24)। सितारों के आगे जहां और भी है,अभी तो मुठ्ठी भर नापी है जमीं, अभी तो पूरे आसमां में उड़ान बाकी है। रोजगार से महिलाओं को जोड़ने वाली योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं की जिन्दगी में बदलाव ला दिया है। महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं। कोरोना काल में योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी लोगों की मदद करने के लिए नई योजनाओं को प्रदेश में लागू किया जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वंय सहायता समूहों का गठन किया गया जिससे यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है। इस दिशा में लखनऊ के निगोहा के मीरखनगर ग्राम पंचायत मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को साबित कर रही हैं। स्वयं सहायता समूहों की आमदनी की बदौलत परिवार की किस्मत चमकाने में जुटी यह महिलाएं बेटियों को तालीम दिलाकर कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में लगी हैं। जैविक खेती, पशुपालन से लेकर दूसरी महिलाओं को रोजगार दिलाने वाली निगोहां के भैरमपुर की महिला आर्मी दूसरी पंचायतों के लिए मिसाल बन गई हैं। बता दें कि मीरखनगर की आबादी 3500 और भैरमपुर की आबादी 1000 है।
जैविक खेती कर गांव में बिखेरी खुशहाली
स्वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं। खेती करने के तरीके में इन महिलाओं ने न सिर्फ बदलाव लाए बल्कि अब दोगुनी तेजी से ये फसल उगा रही हैं। इस काम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सब्जियां उगाने से लेकर पारम्परिक खेती करने तक हम लोग अधिकतर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। जलकुम्भी, गोबर ,पुआल समेत दूसरे हरित अवशेषों के प्रयोग से विशेष विधि द्वारा शीवांस खाद का उत्पादन भी स्वयं करते हैं। इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट का भी सहारा लेते हैं। महिलाओं ने बताया कि जरुरत के मुताबिक खाद का उपयोग करने के बाद सभी परिवार बची-खुची खाद दूसरों को बेंचकर अब पहले से अधिक आमदनी हो जाती है।
छोटे सी पूंजी से हुई शुरूवात अब लगे आमदनी को पंख
उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को ध्यान रखते हुए शुरू की गई योजनाओं का लाभ हम लोगों को मिला है। हम लोगों ने 80 महिलाओं के समेह का गठन कर छोटी सी पूंजी संग काम की शुरूवात की थी तब 40 रुपए प्रतिदिन की कमाई होती थी पर आज कोराना काल के संकट के बावजूद स्वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपए की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं।
प्रतिदिन तीन सौ लीटर दूध का हो रहा उत्पादन
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार अच्छी आमदनी संग दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर पैदावर कर आमदनी को दोगुना कर लिया है। स्वयं सहायता समूहों की मदद से पशुपालन के द्वारा मीरखनगर और भैरमपुर की यह महिलाएं गांव में ही प्रतिदिन तकरीबन तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन कर डेयरी में बिक्री करती हैं।
गांव की बेटियां करने लगी एमबीए नर्सिंग कोर्स की पढ़ाई
उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार की योजनाओं की बदौलत अब गांव की सूरत में बदलाव आया है। पहले जहां चूल्हे एक दो दिन तक ठंडे रहते थे वहीं अब योजनाओं के कारण आमदनी कर परिवार को बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है। इतना ही नहीं वो बताती है कि गांव में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने बेटियों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाने संग सम्मान से जीने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वो बताती हैं कि गांव की कुछ बेटियां एमबीए और नर्सिंग कोर्स भी कर रही हैं।
दिवाली के लिए तैयार कर रहीं डिजाइनर मोमबत्तियां
मीरखनगर में समूहों की कई महिलाएं अपने हाथ के हुनर को निखार आमदनी कर रही हैं। छोटे छोटे प्रयासों से उन्होंने अपने आमदनी के नए जरियों को तलाश लिया है। आत्मनिर्भर और सशक्त बनने की दिशा में अग्रसर ये महिलाएं पेटिंग, साड़ी की प्रीटिंग, साड़ी की डिजाइनिंग से लेकर परिधानों में रंग भरकर अपनी जिन्दगी में खुशहाली के रंग भर रही हैं। दिवाली पर डिजाइनर मोमबत्तियां भी तैयार कर रही महिलाओं ने कहा कि इन सभी कामों से हम लोगों की रोज आमदनी हो रही है।
Nice article Sir