लखनऊ (लाइवभारत24)।  देश में अधिकांश महिलाओं को यह नहीं मालूम है कि उनके संवैधानिक अधिकार क्या हैं। बड़े-बड़े पदों पर होने के बावजूद उन्हें अपनी संपत्ति, सुरक्षा, विवाह एवं समानता संबंधित अधिकारों की जानकारी नहीं है। कई महिलाओं को यह भी नहीं मालूम है कि पिता की संपत्ति पर उसका उतना ही हक है जितना बेटे का। ऐसे ही कई अन्य कानून हैं जिसकी जानकारी महिलाओं को होना चाहिए।

संपत्ति व उत्तराधिकार से संबंधित

पिता की जायदाद में बेटी का भी हक है। सुप्रीम कोर्ट ने विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा, (2020) के मामले में कहा था कि पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही हक है जितना कि बेटे का।
शादी से पैतृक संपत्ति में अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ता। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 से धारा 6 में संशोधन के बाद बेटी पैदा होते ही सह-वारिस हो जाती है।
अनुकंपा पर बेटियों को मिलती है नौकरी। पिता की अकस्मात मौत के बाद बेटियों को भी अनुकंपा पर नौकरी पाने का हक है। इसमें महिला की वैवाहिक स्थिति मायने नहीं रखती।
द.प्र.सं. की धारा 125-128 एवं हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24,25 में गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता से संबंधित प्रावधान है।
अगर वसीयत लिखने से पहले पिता की मौत हो जाती है तो सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति पर समान अधिकार होगा।

सुरक्षा से संबंधित अधिकार

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अनुसार कार्यस्थल पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार है। भा.द.सं. की धारा 354अ में भी लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित है।
महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 और भा.द.सं. की धारा 292, 293, 294 अश्लील चित्रण से बचने का अधिकार से संबंधित प्रावधान है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 एवं धारा 509 के तहत छेड़छाड़ से संबंधित प्रावधान हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 D स्टाकिंग से सुरक्षा देता है। इसके अनुसार किसी महिला का पीछा करना या संपर्क स्थापित करने की कोशिश करना एवं कोई महिला इंटरनेट पर क्या करती है, इस पर नजर रखना भी स्टाकिंग के दायरे में आता है।

विवाह संबंधी अधिकार :

भारतीय दंड संहिता के अध्याय 20 की धारा 493 – 498 तक विवाह विरुद्ध अपराध बताए गए हैं।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं के अधिकार हैं।
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता में क्रूरता के लिए धारा 498 ए का प्रावधान किया है।
बाल विवाह रोकथाम अधिनियम,1929, के तहत बाल विवाह के विरुद्ध अधिकार।
गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक (लिंग चयन पर रोक) अधिनियम 1994 (पीसीपीएनडीटी) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार प्रदान किया गया है। भा.द. सं. की धारा 312, धारा 313, धारा 314 भी संबंधित प्रावधान है।

समानता का अधिकार :

समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के अनुसार समान वेतन का अधिकार।
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,1948 के तहत न्यूनतम मजदूरी का अधिकार।
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार।

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