लखनऊ (लाइवभारत24)। उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के पहले और दूसरे साल के स्टूडेंट्स को प्रमोट किए जाने का खाका तैयार हो चुका है। कोरोना के कारण परीक्षाएं न हो पाने से सरकार की पहल पर 3 कुलपतियों की कमेटी ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में ग्रेजुएशन के पहले और दूसरे साल के साथ ही PG के फर्स्ट इयर के स्टूडेंट्स को प्रमोट करने की सिफारिश की गई है। वहीं, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन लास्ट इयर के स्टूडेंट्स की परीक्षा कराने की बात कही गई है।
समिति का मानना है कि जो स्टूडेंट अभी सेकेंड इयर में हैं, उन्हें 2020-21 में भी बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया था। लिहाजा अगले साल ग्रेजुएशन लास्ट इयर की परीक्षा के साथ उनकी सेकेंड इयर की परीक्षा भी ली जाए। सेकेंड इयर की परीक्षा के अंकों के आधार पर फर्स्ट इयर के अंक तय किए जाएं, ताकि विद्यार्थी सिर्फ एक साल की परीक्षा देकर ही ग्रेजुएट न हो।
वहीं, फर्स्ट इयर के जिन स्टूडेंट को प्रमोट किया जाएगा, उनकी सेंकेंड इयर की परीक्षा में मिले मार्क्स के आधार पर फर्स्ट इयर के अंक तय किए जाएं। इसी तरह PG फर्स्ट इयर के स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया जाए, लेकिन लास्ट इयर के विद्यार्थियों की परीक्षा कराई जाए। परीक्षा का प्रारूप तय करने के लिए यूनिवर्सिटी को छूट देने की भी सिफारिश की गई है।
प्रदेश सरकार ने इस मामले में तीन कुलपतियों की कमेटी बनाकर रिपोर्ट मांगी थी। कमेटी ने प्रदेश की दूसरी यूनिवर्सिटियों के कुलपतियों और एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों से रायशुमारी करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है।
इसमें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक, लखनऊ विश्वविद्यलाय के कुलपति, प्रो. आलोक कुमार राय, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रो. कृष्णपाल सिंह शामिल हैं।
कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने परीक्षाओं के संबंध में सभी यूनिवर्सिटी को पहले छूट दे रखी है। उन्हें स्थानीय स्तर पर हालात की समीक्षा करते हुए परीक्षा कराने या न कराने के संबंध में फैसला लेने को कहा गया है।
आयोग ने साफ किया है कि यूनिवर्सिटियां ऑटोनॉमस संस्थान है। इसलिए इन मुद्दों पर वह अपने स्तर पर फैसला ले सकती हैं। तभी से उम्मीद जताई जा रही थी कि लास्ट इयर के छात्रों को छोड़कर सभी को राहत मिल सकती हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कमेटी ने प्रस्ताव सौंप दिया है, आखिरी फैसला सरकार लेगी।