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नारायण सेवा संस्थान ने शुरू किया नि:शुल्क इलाज

लखनऊ/ उदयपुर (लाइवभारत24)। नारायण सेवा संस्थान (एनएसएस) ने उदयपुर में दिव्यांग लोगों के लिए निशुल्क उपचार की सुविधा फिर से शुरू कर दी है। कोविड- 19 के कारण अस्पतालों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए संस्थान ने अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर दी हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण संक्रमण के खतरे को देखते हुए बड़ी संख्या में दिव्यांग अस्पतालों में जाने में संकोच कर रहे हैं। उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए नारायण सेवा संस्थान ने उपचार की सुविधा फिर से शुरू करने का फैसला किया। अनलॉक के दूसरे चरण के बाद संस्थान में हाल ही चित्तौड़गढ़ के दुर्गा कुमार नामक मरीज ने अपने पैर के संक्रमण का इलाज निशुल्क करवाया। वहीं एक अन्य रोगी शंकर भानेज, जो जन्म से ही दिव्यांग है, उसने भी अपनी पुरानी बीमारी का निशुल्क उपचार हासिल किया। इन रोगियों को अस्पताल में रहने के दौरान हर समय निशुल्क भोजन भी उपलब्ध कराया जाता था। रोगी शंकर भानेज ने संस्थान के प्रति अपनी कृतज्ञता जताते हुए कहा, ‘‘मैं लंबे समय से तकलीफ झेल रहा था, क्योंकि मेरे पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन अब नारायण सेवा संस्थान की पहल के साथ मुझे अपने जीवन को फिर से शुरू करने का मौका मिला है।‘‘ नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल कहते हैं, ‘‘लॉकडाउन से पहले हम प्रतिदिन 80-90 मरीजों का ऑपरेशन करते थे, लेकिन अब जबकि हमने फिर से इलाज शुरू किया है, तो हर दिन 6 से 7 मरीजों के इलाज कर पा रहे हैं। वर्तमान महामारी के कारण, हम सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखते हुए उचित सावधानियों के साथ अधिक से अधिक लोगों की मदद करने की उम्मीद कर रहे हैं। हम जरूरतमंद छात्रों को भी आमंत्रित कर रहे हैं और उनसे नारायण सेवा संस्थान में मुफ्त कौशल विकास पाठ्यक्रम में शामिल होने की अपील कर रहे हैं।‘‘ वर्तमान महामारी के समय में नारायण सेवा संस्थान ने लॉकडाउन के दौरान गाँव और शहर में प्रवासियों को भोजन के 1,12,300 पैकेट, 780 पीपीई किट, सैनिटाइजर और 57305 मास्क वितरित करके अपना समर्थन जताया।एनएसएस के डॉ अंकित चैहान ने कहा, ‘‘जन्मजात दिव्यांगों की मानसिक स्थिति को देखते हुए उनकी ऑपरेशन से पहले और बाद में अच्छी तरह से देखभाल करना महत्वपूर्ण है। अनलॉक से पहले जिन रोगियों का ऑपरेशन किया गया था, उन्हें वेबिनार के माध्यम से फिजियोथेरेपी संबंधी मार्गदर्शन प्रदान किया गया था।‘‘लॉकडाउन के कारण संस्थान में 3430 ऑपरेशन रद्द किए गए थे, लेकिन प्रति दिन केस का अनुमान 60-70 से अधिक था। जिन रोगियों के ऑपरेशन टाले गए, उनमें अधिकांश रोगियों के मामले में जन्मजात दिव्यांगता के कारण इलाज करना जरूरी था, पर कृत्रिम अंग, कैलीपर्स, व्हीलचेयर और ट्राइसाइकल की उनकी जरूरतों को देखते हुए इलाज को स्थगित किया गया था।

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