आज है शिविर का आयोजन, कोई भी आ सकता है। हर वर्ष 10 सितंबर को मनाया जाता है।
आवेश में आकर की गई आत्महत्या के केस अधिक
हेल्पलाइन नॉ. 7705979478 पर ले सकते है मदद (आत्महत्या रोकथाम प्रकोष्ठ)
प्रयागराज(लाइवभारत24)। पूरे विश्व में हर वर्ष 10 सितंबर को ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी के क्रम में डॉ वी के मिश्रा, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी एनसीडी सेल के नेतृत्व में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, प्रयागराज एक दिवसीय वृहद मानसिक स्वास्थ्य जन जागरूकता, दिव्यांगता प्रमाणीकरण एवं उपचार हेतु शिविर का आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेजा में किया जा रहा है जहाँ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले सभी मानसिक परेशानी से ग्रस्त व्यक्तियों को ऑन स्पॉट उपचार एवं मानसिक दिव्यांगता प्रमाणीकरण की सुविधा दी जाएगी। मनोचिकित्सक परामर्शदाता डॉ राकेश ने बताया कि यह देखा गया है की मानसिक रोग आत्महत्या की प्रवत्ति को बहुत बढ़ा देते हैं इसलिए हम इस शिविर में आत्महत्या रोकथाम पर जागरुकता के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी जागरूकता और उपचार देंगे। इसके शिविर के लिए काफी दिनों से क्षेत्र में आशा, ए.एन.एम., आंगनवाड़ी, ग्रामप्रधान और लाउडस्पीकर के माध्यम से सूचना दी जा रही है। इस शिविर में कोई भी व्यक्ति आ सकता है। शिविर में कोरोना की गाइडलाइन का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने बताया की कई बार भूत-प्रेत या जादू-टोन ने जुड़ी समस्या वाले रोगी भी आते हैं जिनको उचित परामर्श व उपचार दिया जाता है। डॉ ईशान्या राज ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक परेशानियों के बारे में जागरूकता प्रदान करना, परेशानियों के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में अवगत कराना एवं इन परेशानियों को समाज में कलंक का नाम ना देना आदि के बारे में जागरूकता फैलाना है और उन क्षेत्रों में भी अपनी सुविधा पंहुचाना है जहाँ से लोग जिला चिकित्सालय आने में असमर्थ हैं।
थोड़ी सी सूझ बूझ से रोक सकते है आवेश में आ कर की जा रही आत्महत्या
डॉ वी के मिश्रा ने बताया कि आत्महत्या के मामलो में परामर्श बहुत ही आवश्यक है। कोई भी व्यक्ति दो स्तिथियों में आत्महत्या करता है, या तो सोच समझ कर या फिर आवेश में आ कर। आजकल 70 से 80 प्रतिशत मामले आवेश में आ कर की गई आत्महत्या के होते हैं। सोचसमझ कर की गई आत्महत्या लम्बे समय तक मानसिक रोग, अवसाद या अन्य कारणों से होती है पर आवेश में आ कर की जा रही आत्महत्या को रोका जा सकता है, व्यक्ति जब आवेश में आ कर आत्महत्या करने की कोशिश करता है उस समय यदि कुछ समय के लिए उसे समझाबुझा कर या किसी और बात में लगा कर रोक लिया जाये तो उसका आवेश कम हो जाता है और वह व्यक्ति आत्महत्या का विचार त्याग देता है। उन्होंने बताया कि कोरोना की शुरुआत में बहुत से लोग बीमारी के डर से अवसाद में चले गए थे और आत्महत्या की तरफ बढ़ रहे थे पर स्तिथि पहले से काफी बेहतर है लोगो को अब पता है की कोरोना से ठीक हो सकते हैं।
Good news and good initiative from health department