नई दिल्ली(लाइव भारत24)। क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) दुनिया भर में एक जटिल गंभीर बीमारी के रूप में उभर रहा है। इसका एक कारण यह है कि दुनिया भर में डायबिटीज और हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत की 1 बिलियन से अधिक आबादी वाले देश में, सीकेडी का 17.2 प्रतिशत होने का अनुमान है। बढ़ते क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के चलते आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य सेवा और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए ही गंभीर समस्याएं पैदा होने की संभावना है। अग्रणी विज्ञान-केंद्रित बायो-फार्मास्यूटिकल कंपनी, एस्ट्राजेनेका इंडिया (एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड) ने डायबिटीज के लिए अपनी नवीनतम दवा डेपाग्लिफ्लोजिन के क्लिनिकल ट्रायल्स के संपूर्ण परिणामों की आज घोषणा की। इस दवा का टाइप-2 डायबिटीज वाले और बिना टाइप-2 डायबिटीज वाले मरीजों में क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) को कम करने में महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिला। बेहतरीन एंटी-डायबिटिक और हार्ट-फेल्योर लाभों के अलावा सीकेडी में यह लाभ दिखा। क्रोनिक किडनी जिडीज का अर्थ है कि इसमें किडनी खराब हो जाती है और जिस रूप में इसे रक्त को छानना चाहिए उस रूप में नहीं छान पाती। इस बीमारी को ”क्रोनिक” कहा जाता है, क्योंकि किडनी खराब होने की प्रक्रिया धीरे-धीरे और लंबे समय में पूरी होती है। क्रोनिक किडनी डिजीज के चलते अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे कि हृदय रोग। यदि किसी को किडनी की बीमारी है, तो इससे स्ट्रोक या हार्ट फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। उच्च रक्त चाप, किडनी रोग का कारण भी हो सकता है और इसका परिणाम भी। क्रोनिक किडनी डिजीज के आरंभिक चरणों में, कुछ संकेत या लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं, जैसे कि पैर और टखने में सूजन, खुजली, मांसपेशियों में ऐंठन, मचली, उल्टी और भूख की कमी। हालांकि, क्रोनिक किडनी डिजीज का स्पष्ट रूप से पता तब तक नहीं चलता है, जब तक किडनी बहुत अधिक खराब न हो जाये। जिन लोगों में किडनी की समस्या है, उसका पता लगाने के लिए सीरम क्रिएटिनीन, ब्लड यूरिया और यूरिन एल्बूमिन जैसे टेस्ट्स कराना अत्यावश्य है। बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, क्रोनिक किडनी डिजीज के उपचार में किडनी की बढ़ती खराबी को कम करने पर जोर दिया जाता है और सामान्य तौर पर, इसके निहित कारण को नियंत्रित करने पर बल दिया जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम अवस्था में किडनी काम करना बंद कर देता है, जो कि डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना जानलेवा स्थिति है। किडनी रोग के चलते अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं, जैसे कि हार्ट फेल्योर, कार्डियोवैस्क्यूलर डेथ आदि।