नई दिल्ली(लाइवभारत24)। भारत पाकिस्तान और चीन की सीमा पर सेना और टैंकों के तेजी से मूवमेंट के लिए लद्दाख तक एक अहम सड़क का निर्माण कर रहा है। मनाली से लेह तक बन रही इस सड़क से सेना का मूवमेंट काफी तेजी से हो सकेगा। खास बात यह है कि इस मूवमेंट पर दुश्मन की नजर भी नहीं पड़ सकेगी। ऊंचाई वाले लद्दाख को भारत से जोड़ने वाला ये तीसरा लिंक होगा। भारत पिछले तीन साल से उत्तरी इलाकों में सामरिक लिहाज से अहमियत रखने वाले दौलत बेग ओल्डी और अन्य इलाकों को जोड़ने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर काम कर रहा है। दुनिया की सबसे ऊंची व्हीकल रोड खारदुंग ला पास से ये काम शुरू भी हो गया है।
सरकारी सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया एजेंसियां वैकल्पिक रास्ते ढूंढने पर काम कर रही है। नीमू-पदम-दार्चा से होते हुए मनाली को लेह से जोड़ने पर काम किया जा रहा है। अभी श्रीनगर से जोजिला दर्रे के जरिए और सर्चू से होते हुए मनाली से लेह तक का रास्ता तय किया जाता है। ऑल्टरनेटिव कनेक्टिविटी से मौजूदा रास्तों की तुलना में वक्त की काफी बचत हो सकेगी। सूत्रों के मुताबिक, इस सड़क के निर्माण से मनाली से लेह जाने में 3 से 4 घंटे का वक्त बचेगा। इसके अलावा सेना के जवानों की तैनाती, टैंकों के मूवमेंट के दौरान पाकिस्तान या कोई दूसरा दुश्मन मूवमेंट पर नजर नहीं रख सकेगा। भारतीय सेना बिना दुश्मन की नजर पड़े दूसरे इलाकों से लद्दाख में भारी हथियारों टैंकों और टुकड़ियों की तैनाती कर सकेगी।
ट्रांसपोर्ट के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला रूट जोजिला है, जोकि द्रास-करगिल दर्रे से लेह तक जाता है। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान इसी रूट को पाकिस्तान ने निशाना बनाया था और पाकिस्तानी सैनिकों ने ऊंचे पहाड़ों से सड़क के आसपास बमबारी और गोलीबारी की थी। सूत्रों के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। नई सड़क मनाली को लेह से नीमू के पास जोड़ेगी। यह वही जगह है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ चल रहे तनाव के दौरान पहुंचे थे और भारतीय जवानों का उत्साहवर्धन किया था।

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