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स्वस्थ रहना है तो प्रकृति के साथ रखें तालमेल

 

यह लक्षण आपको बताएंगे आपकी इम्यूनिटी पॉवर

1) स्वाभाविक भूख लगना
2) स्वाभाविक 7 से 8 घंटे की गहरी नींद आना
3) स्वाभाविक पेट साफ होना
लखनऊ। सामान्यता काफी लंबे समय से आहार का यह कांसेप्ट सामने आया है कि तय समय पर भोजन कर लिया जाए, शरीर की पोषक खुराक को ध्यान में रखते हुए, किंतु इसको अपनाने में लोग धीरे-धीरे स्वाभाविक भूख की अनुभूति को ही भूल गए। हर समय शरीर में भोजन समयानुसार भरा जाने लगा यह महसूस किए बिना कि निष्कासन सही प्रकार हुआ भी है या नहीं और इस तरह पोषक भोजन भी विषाक्त होने लगा।

डॉ.शिखा गुप्ता

प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. शिखा गुप्ता कहती हैं कि मोबाइल के अतिशय प्रयोग ने हमारी दिनचर्या को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। प्रकृति का हर कार्य तय समय पर निर्धारित है। हमारे शरीर के अंग भी प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए कार्य करते हैं और स्वस्थ रहते हैं। जब हम प्रकृति के विपरीत दिन को रात और रात को दिन बनाते हैं तो हमारी नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। साथ ही साथ सारे अंगो की कार्यप्रणाली में भी बाधा पहुंचती है जिससे धीरे-धीरे स्वाभाविक नींद का आना व्यक्ति भूल जाता है।

फाइबर युक्त करें भोजन

मशीनी युग में अनाज अपना स्वरूप बदलकर महीन हो गया है, उसमें से आवश्यक खुज्जा (फाइबर) निकल गया है। भोजन अत्यधिक भूना जाने लगा है, खाने में जंक फूड की अधिकता होने लगी जिससे निष्कासन अंग शिथिल हो जाते हैं, उन्हें पर्याप्त खुज्जा यानि फाइबर नहीं मिल पाता और आंतों की (peristaltic) कृमानुकुन्चन गति प्रभावित होती है जिससे मल बड़ी आँत में स्वभाविक रूप से नहीं सरक पाता और उसी में सड़ता रहता है उस पर तरह-तरह के चूर्ण रखकर व्यक्ति उसकी भरपाई करना चाहता हैं। जबकि भोजन को प्राकृतिक अवस्था में खाना एकमात्र सिद्धांत है तभी उसका स्वतः और पूर्ण निष्काषन सम्भव है।

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