बीजिंग(लाइवभारत24)।  जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ चीन में लोग सड़क पर उतर आए हैं। बीजिंग से शुरू हुए ये प्रदर्शन अब 9 बड़े शहरों तक पहुंच गए हैं। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए लाठी चार्ज से लेकर लोगों को गिरफ्तार कर रही है, लेकिन लोगों का गुस्सा खत्म नहीं हो रहा है। रविवार की रातभर लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते रहे।

इस दौरान लोग नारेबाजी करते हुए लॉकडाउन हटाने और आजादी देने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा- हमें फ्रीडम ऑफ प्रेस, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, फ्रीडम ऑफ मूवमेंट चाहिए। हमें हमारी आजादी दे दो। लोग राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफा मांग भी कर रहे हैं।

चीन में लगातार कोरोना बढ़ रहा है। 27 नवंबर को कोरोना के 40 हजार मामले सामने आए हैं। ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। चीन में अब एक्टिव केस का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया है। इसके चलते शी जिनपिंग सरकार ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं।

सख्त लॉकडाउन से 66 लाख लोग घरों में कैद है। ये लोग खाने के सामान के लिए भी बाहर नहीं निकल सकते। रोज होने वाले कोविड टेस्ट से भी नाराजगी बढ़ रही। जो लोग सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
चीन में 10 महीनों से जीरो कोविड पॉलिसी लागू है। कई तरह की पाबंदियां हैं, लेकिन गुस्सा तब भड़क गया जब चीन के शिंजियांग में 25 नवंबर को एक बिल्डिंग की 15वीं मंजिल में आग लगी गई। इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई। लॉकडाउन की वजह से राहत समय पर नहीं पहुंच सकी। लोगों ने आरोप लगाया कि अफसरों ने लापरवाही की। इसके बाद बीजिंग में लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन शुरू हो गए।
नए नियमों में लोगों को प्रतिबंधों से ढील दी गई है और अर्थव्यवस्था के लिए कम नुकसान पहुंचाने वाला बनाया गया है, लेकिन कोविड केस बढ़ने के कारण स्थानीय अधिकारी सख्त नियमों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। नियमों में छूट की बजाय अधिकारी पूर्व की तरह जीरो कोविड नीति की और ही लौट रहे हैं।
प्रदर्शन राजधानी बीजिंग से शुरू हुआ और लॉन्चो, चेंगदू, जिनान, चोंगकिंग, वुहान शिंजियांग, ग्वांगझु और वुहान तक पहुंच गया। यहां पिछले तीन दोनों से लगातार लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
लोग जिनपिंग गद्दी छोड़ो, कम्‍युनिस्‍ट पार्टी गद्दी छोड़ो, शिनजियांग को अनलॉक करो, चीन को अनलॉक करो, पीसीआर टेस्‍ट नहीं चाहिए, प्रेस की आजादी चाहिए जैसे नारे लगा रहे।
प्रदर्शनकारी असंतोष जताते हुए खाली सफेद कागज (ब्लैंक व्हाइट पेपर) लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बीजिंग में भी स्टूडेंट्स ब्लैंक व्हाइट पेपर लेकर साइलेंट प्रोटेस्ट करते दिखे। ये एक तरह से सेंसरशिप या गिरफ्तारी से बचने के तौर पर किया जाने वाला विरोध है।

बीजिंग में भी लोगों ने सफेद कागज लेकर प्रदर्शन किए। लोगों को ‘हमें डिक्टेटरशिप की बजाय डेमोक्रेसी चाहिए’ कहते सुना गया।
बीजिंग में भी लोगों ने सफेद कागज लेकर प्रदर्शन किए। लोगों को ‘हमें डिक्टेटरशिप की बजाय डेमोक्रेसी चाहिए’ कहते सुना गया।
चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में कोरोना से हाहाकार मच हुआ है। शंघाई चीन के साथ दुनिया के अन्य देशों के आर्थिक कारोबार के लिए भी काफी महत्व रखता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक रफ्तार पर असर पड़ रहा है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन की GDP में 20% योगदान देने वाला क्षेत्र इस वक्त भी लॉकडाउन या सख्त पाबंदियों से गुजर रहा है। उसके केंद्रीय बैंक भी अगले साल चीन की ग्रोथ को 4.3% से घटाकर 4% आंक रहे हैं।
शंघाई में एक प्रदर्शनकारी को पकड़कर ले जाती पुलिस। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस अपनी गाड़ियों जबरदस्ती डाल कर ले जा रही है।
शंघाई में एक प्रदर्शनकारी को पकड़कर ले जाती पुलिस। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस अपनी गाड़ियों जबरदस्ती डाल कर ले जा रही है।
विरोध प्रदर्शन बढ़ता देख शंघाई में पुलिस अधिकारियों ने उरुमकी जाने वाली सड़क को बंद कर दिया।
चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ लंदन में भी प्रदर्शन देखे गए। यहां चीनी दूतावास के बाहर 27 सितंबर को सैकड़ों लोग जुटे। लोग 25 नवंबर को शिंजियांग की इमारत में आग लगने से मारे गए 10 लोगों की मौत का भी विरोध कर रहे थे। चीन में अधिकतर लोग सख्त कोरोना प्रतिबंधों को इन मौतों की वजह बता रहे हैं। हालांकि, चीनी प्रशासन इस आरोप को ख़ारिज कर रहा है।

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