लखनऊ (लाइवभारत24)। भारतीय स्टेट बैंक, देश के सबसे बड़े ऋणदाता, ने अपने 66वें बैंक दिवस के अवसर पर चालू खाता ग्राहकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी 360 चुनिंदा शाखाओं में एक समर्पित काउंटर लॉन्च किया है. चालू खाता सेवा बिंदु (सीएएसपी) के रूप में नामित यह समर्पित काउंटर प्रमुख चालू खाता ग्राहकों की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करेगा और नए ग्राहकों को जुटाएगा. यह पहल ग्राहकों को उनकी प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार सरलीकृत तकनीकी समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाएगी. सीएसएपी के सभी केंद्रों में प्रशिक्षित और समर्पित रिलेशनशिप मैनेजरों को नियुक्त किया जाएगा. सीएसएपी पहल का शुभारंभ सभी सर्किलों के मुख्य महाप्रबंधकों की उपस्थिति में श्री चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी, प्रबंध निदेशक (खुदरा और डिजिटल बैंकिंग) द्वारा किया गया.

लिटिल थिंग्‍स वी डू अध्‍ययन का खुलासा

भारत के अलग-अलग आयु समूह के लोगों ने कोविड-19 महामारी के चलते पिछले वर्ष लगाये गये राष्‍ट्रीय लॉकडाउन का अपने अलग-अलग अंदाज में सामना किया – गोदरेज ग्रुप के ‘लिटिल थिंग्‍स वी डू’ अध्‍ययन में इसका पता चला है। जनरेशन एक्‍स ग्रुपिंग के अधिकांश लोग (59 प्रतिशत ), जिनकी आयु 45 वर्ष या इससे अधिक है, और जनरेशन ज़ेड ग्रुपिंग (53 प्रतिशत ) जो 18-24 आयु वर्ग वाले हैं, उनमें परोपकारिता की प्रवृत्ति देखने को मिली; इन्‍होंने जरूरतमंद लोगों को सैनिटाइजर्स, फूड पैकेट्स, पुराने कपड़े, कंबल, या चिकित्‍सा उपकरण बांटे। बहुसंख्‍य मिलेनियल्‍स (54 प्रतिशत ) ने पर्यावरणानुकूल कार्यों को अपनी सर्वोच्‍च प्राथमिकता बनाया। मिलेनियल्‍स आयु वर्ग का सूक्ष्‍म परीक्षण करने पर पता चला कि युवा मिलेनियल्‍स (25-34) सभी आयु समूहों के बीच पर्यावरण को लेकर सर्वाधिक संजिदा रहे। 54.83 प्रतिशत मिलेनियल्‍स ने घर पर पौधे उगाने को सर्वाधिक प्राथमिकता दी, वो ऊर्जा की खपत को लेकर सतर्क रहे और उनके द्वारा खरीदे जाने वाले उत्‍पादों के पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर सचेत दिखे। गोदरेज समूह द्वारा ‘लिटिल थिंग्स वी डू’ शोध शुरू किया गया था ताकि यह उजागर किया जा सके कि छोटे-छोटे योगदान और उनके परिणामी प्रभाव हमारी जिंदगियों में कितना टिकाऊ छाप छोड़ते हैं। पांच में से लगभग तीन (59 प्रतिशत ) मिलेनियल्स ने खुद को स्वस्थ और खुश रखने के लिए योग, ज़ुम्बा, वॉकिंग या मेडिटेशन जैसी शारीरिक या मानसिक फिटनेस गतिविधि की। साथ ही, सभी आयु समूहों में केवल एक छोटा प्रतिशत धूम्रपान, फिजूलखर्ची, जंक फूड्स जैसी बुराइयों को छोड़ देता हैसर्वेक्षण में शामिल केवल 36 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने अस्वास्थ्यकर आदतों को छोड़ दिया है। इस मामले में जनरेशन ज़ेड का प्रदर्शन सबसे खराब (34 प्रतिशत ) रहा और उसके जनरेशन एक्स (35 प्रतिशत) का स्‍थान रहा। लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण घर का बना सेहतमंद भोजन खाने संबंधी व्‍यावहारिक बदलाव कमोबेश सभी प्रतिक्रियादाताओं में देखा गया और इसमें जनरेशन ज़ेड और युवा मिलेनियल्‍स का प्रतिशत (74 प्रतिशत ) रहा, जबकि अधिक उम्र वाले मिलेनियल्‍स का प्रतिशत (75 प्रतिशत ) और जनरेशन एक्स का प्रतिशत (77 प्रतिशत ) रहा। सुजीत पाटिल, वाइस प्रेसिडेंट और ग्रुप हेड – कॉर्पोरेट ब्रांड एवं कम्‍यूनिकेशंस, गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एसोसिएट कंपनीज ने इस शोध अध्‍ययन को एक चुनौतीपूर्ण अवधि में विभिन्न उपभोक्ता आयु-समूहों की अंतर्दृष्टिपरक सोच की प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया। उन्‍होंने कहा, “मौजूदा महामारी ने भारतीयों की जीवन शैली और आकांक्षाओं पर भारी असर डाला है। इसलिए, विभिन्न आयु वर्ग के लोगों ने अपने जीवन में ‘छोटे-छोटे’ बदलावों को शामिल करना शुरू कर दिया है जिससे मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर हो सके। कुछ आयु समूह वालों ने परोपकारिता के प्रति बहुत गहरी रुचि दिखाई है जबकि अन्य ने अपने स्वयं के स्वास्थ्य और भलाई की रक्षा के लिए गतिविधियों के प्रति रुचि दिखाई है।”

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