प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी:रेलवे

नई दिल्ली(लाइवभारत24)। रेलवे ने प्राइवेट कंपनियों पर छोड़ा है कि वह ट्रेन का किराया तय करें।ट्रेन चलाने वाली प्राइवेट कंपनियां जितना मर्जी उतना किराया रख सकती हैं। इस किराये के लिए उन्हें किसी भी अथॉरिटी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। यह कंपनियां भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर ट्रेन चलाएंगी और इसके लिए वे जो चाहें किराया तय कर सकती हैं। इसके अलावा रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए वे अलग-अलग तरह के विकल्पों के बारे में विचार करने और फैसला करने में स्वतंत्र होंगे। हाल में इस तरह की बात रेलवे मंत्री पियूष गोयल ने भी कही थी।
बता दें कि भारत में अभी तेजस एक्सप्रेस के नाम से प्राइवेट ट्रेनें चल रही हैं। प्राइवेट ट्रेन चलाने को लेकर ऑपरेशन बोली में शामिल होने वाली कई बड़ी कंपनियों के नाम सामने आए हैं जिसमें आईआरसीटीसी के अलावा जीएमआर समूह, बॉम्बार्डियर इंडिया , सीएएफ, राइट्स, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (भेल), मेधा समूह, आरके एसोसिएट्स, स्टरलाइट पावर, भारतफोर्ज और जे केबी इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।

अभी भारत में तेजस एक्सप्रेस के नाम से प्राइवेट ट्रेनें चल रही हैं

हाल में प्री-अप्लीकेशन मीटिंग में इस तरह का सवाल भी आया था। सरकार कुल 109 रूट पर 151 ट्रेन प्राइवेट कंपनियों को 35 साल के लिए देगी। रेलवे ने इस मामले में हाल में उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी। यह किराया बाजार के मुताबिक होगा। इसके लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेलवे को कैबिनेट या संसद से इस तरह के मामलों के लिए अनुमति लेनी होगी। रेलवे एक्ट के अनुसार देश में केवल केंद्र सरकार या रेलवे मंत्रालय पैसेंजर ट्रेन के किराए को तय कर सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, आनेवाली प्राइवेट ट्रेनों की किराया वर्तमान ट्रेनों के किराये से काफी ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन ट्रेनों में किराया फिक्स करने का नियम नहीं है। वैसे अभी भी अहमदाबाद से मुंबई तक चलनेवाली शताब्दी एक्सप्रेस का किराया वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी महंगा है। साथ ही इन ट्रेनों की कंपनियां अपनी वेबसाइट पर टिकट बेच सकती हैं। हालांकि उन्हें वेबसाइट के बैक इंड को रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के साथ रखना होगा, जो भारतीय रेलवे के पास है। रेलवे के मुताबिक, प्राइवेटाइजेशन से रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने और रेल डिब्बों की टेक्नॉलॉजी में नया बदलाव आएगा। रेलवे अधिकारी के मुताबिक, टेक्नॉलॉजी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोचों को अभी हर 4,000 किलोमीटर यात्रा के बाद मेंटेनेंस की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40,000 किलोमीटर हो जाएगी। इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा। रेलवे ने प्राइवेट सेक्टर की मदद से चलाई जाने वाले ट्रेनों के लिए टाइमलाइन तय कर दी है। इसके मुताबिक, 2023 में प्राइवेट ट्रेनों का पहला सेट आएगा। इसमें 12 ट्रेनें होंगी। रेलवे के मुताबिक, सभी 151 ट्रेनों को 2027 तक पेश कर दिया जाएगा। बता दें कि रेलवे ने पहली बार देश भर में 109 रूटों पर 151 मॉडर्न प्राइवेट ट्रेनें चलाने को लेकर निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपए का निवेश अनुमानित है। रेलवे ने कहा है कि 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में तैयार की जाएंगी। इन ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड के हिसाब से बनाया जाएगा। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा में 10% से 15% कम समय लगेगा, जबकि 160 किलोमीटर की स्पीड से 30% समय बचेगा। इनकी स्पीड मौजूदा समय में रेलवे की ओर से चलाई जा रहीं सबसे तेज ट्रेनों से भी ज्यादा होगी। हर ट्रेन में 16 कोच होंगे।

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